मौत का करंट: बस्ती में स्मार्ट मीटर के नाम पर लटकती मौतें!
शहर की गलियों में “स्मार्ट मीटर” योजना के नाम पर एक नई मुसीबत लटकाई जा रही है। EDD-1 बस्ती क्षेत्र में हर गली, हर घर के सामने भारी-भरकम तार लटक रहे हैं, जिन्हें स्मार्ट मीटर की तैयारी बताया जा रहा है। लेकिन हकीकत यह है कि ये तार बिजली नहीं, मौत का करंट लेकर चल रहे हैं।स्मार्ट मीटर लगाने वाली कंपनी के कर्मचारी बिना किसी तकनीकी मानक और निगरानी के ये वजनी तार टांग रहे हैं। सबस्टेशन के अभियंता और अधीक्षण अधिकारी केवल कागज़ों में व्यस्त हैं—जमीनी हकीकत जानने का किसी के पास समय नहीं। मजदूर “टिप” लेकर चले जा रहे हैं, सुरक्षा या सही जोड़ से किसी को वास्ता नहीं।
इन लटकते तारों ने मोहल्लों का नक्शा डर और खतरे में बदल दिया है। बच्चे खेलने निकलें तो सिर के ऊपर लटकते तार, बूढ़ों और महिलाओं को घर से निकलने में डर—पूरा बस्ती शहर जैसे “करंट के जाल” में फंस गया है।स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह योजना अव्यवस्था और लापरवाही का प्रतीक बन चुकी है। जब ये तार बिजली खंभों से नहीं जुड़े हैं( पुराने तार से मोटा तार जोड़ कर लटका दिया), तो बिजली प्रवाह का नियंत्रण कौन करेगा? कोई जिम्मेदार जवाब देने को तैयार नहीं।जनता के सवाल:ये मौत के तार कौन संभालेगा?कौन करेगा सुरक्षा निरीक्षण?कौन देगा गारंटी कि किसी दिन करंट से कोई हादसा नहीं होगा?जब तक जांच और जवाबदेही तय नहीं होती, बस्ती के ऊपर लटक रही है एक ही परछाई — “लटकती मौत”।
सभासद से लेकर अधिकारी, जनप्रतिनिधि सब का अपना जाब चार्ट, फिर मौत के तार के करंट की उनको तबतक चिंता न होंगी जबतक कोई अनहोनी उनके घर हो. रही बात जिला प्रशासन की तो उनकी व्यस्तता का कर्मकांड ईश्वराधीन!

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