सोमवार, 1 दिसंबर 2025

बस्ती में 38खाते, करोड़ो की ठगी और 6गिरफ्तार, साइबर गिरोह पर पुलिस की सक्रियता



बस्ती, उत्तरप्रदेश,टीम कौटिल्य )


बस्ती में भी साइबर ठगी: छ: गिरफ्तार, पुलिस की सक्रियता बढ़ी; जनता को जागरूक करने की जरूरत










बस्ती। लगातार बढ़ रही साइबर ठगी की घटनाओं के बीच बस्ती पुलिस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय रहकर करोड़ों रुपये की ठगी को अंजाम दे रहा था। साइबर अपराधियों का जाल इतना फैल चुका था कि पिछले कुछ महीनों में अकेले 38 बैंक खातों और कई राज्यों की पोर्टल-शिकायतों से जुड़ी लगभग 4.69 करोड़ रुपये की ठगी के तार इस गैंग के पास से मिले हैं। पुलिस की सक्रियता और लगातार डिजिटल निगरानी के चलते इस गिरोह के छह सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि व्यापक रूप से देखें तो यह गिरफ्तारी जितनी महत्वपूर्ण है, उससे कहीं अधिक जरूरी है आम जनता को जागरूक करना, ताकि ऐसे अपराधों पर रोक लग सके।

गिरफ्तारी से खुली बड़े नेटवर्क की परतें,बस्ती पुलिस की टीम ने डीआईजी और एसपी के निर्देशन में एक संयुक्त अभियान चलाकर इन आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने बताया कि यह पूरा गिरोह साइबर ठगी में अत्याधुनिक तरीकों का इस्तेमाल करता था। इनके पास से कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड, बैंक पासबुक और एटीएम कार्ड बरामद किए गए हैं। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि गिरोह सोशल मीडिया, बैंकिंग एप्स, ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स और कॉल सेंटर जैसे तरीकों का सहारा लेकर भोले-भाले लोगों को जाल में फंसाता था।

इस गिरोह का मुख्य तरीका था कि यह खुद को बैंक अधिकारी, बीमा प्रतिनिधि, इनाम जीतने की सूचना देने वाला एजेंट या ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का कर्मचारी बताकर लोगों से ओटीपी, बैंक विवरण या केवाईसी अपडेट करने की आड़ में निजी जानकारी हासिल कर लेते थे। कई मामलों में यह नकली वेबसाइट या फिशिंग लिंक भी भेजते थे, जिन पर क्लिक करते ही लोगों के खाते खाली हो जाते थे।

एक फोन कॉल और खाते से उड़ जाते थे हजारों-लाखों रुपये,कटिंग में दर्ज घटना-विवरण के अनुसार कई पीड़ितों ने बताया कि एक साधारण सा फोन कॉल उन्हें भारी नुकसान दे गया। कॉल करने वाले व्यक्ति बड़ी सफाई से खुद को किसी प्रतिष्ठित संस्था का प्रतिनिधि बताता था और कहता था कि उनका केवाईसी अपडेट नहीं है, कार्ड ब्लॉक हो सकता है, या फिर उनके खाते में संदिग्ध गतिविधि पाई गई है। जैसे ही लोग भरोसे में आकर अपनी व्यक्तिगत जानकारी देते, तुरंत उनके खाते से रुपए ट्रांसफर हो जाते।

जांच में यह भी सामने आया कि गिरोह के सदस्य ठगी के पैसे को विभिन्न खातों में घुमाकर तुरंत निकाल लेते थे, ताकि ट्रेस करना मुश्किल हो सके। पुलिस ने बताया कि कई फर्जी खातों के माध्यम से पैसे देश के विभिन्न राज्यों में भेजे गए। यह नेटवर्क केवल बस्ती या आसपास के जिलों तक सीमित नहीं था, बल्कि इसकी पकड़ राजस्थान, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों से भी जुड़ी पाई गई।

कॉल सेंटर-स्टाइल ऑपरेशन, युवाओं को बना रखा था मोहरा, गिरोह का संचालन लगभग कॉल सेंटर की तरह किया जाता था। कुछ सदस्य डेटा इकट्ठा करते, कुछ फोन कॉल करके लक्ष्य व्यक्तियों को फंसाते और कुछ तत्काल पैसे ट्रांसफर कराते थे। पुलिस के अनुसार, कई युवा बेरोजगारी और लालच के कारण इस काम में शामिल हो गए थे। उन्हें मामूली कमीशन पर फोन कॉल करवाए जाते थे। आरोपी कई बार व्हाट्सऐप कॉल का उपयोग करते थे, जिससे उनकी लोकेशन ट्रेस करना कठिन हो जाता था।

अजित और रमेश की भूमिका संदिग्ध, पुलिस कर रही आगे की जांच,
पुलिस ने बताया कि इस मामले में कुछ और व्यक्तियों की भी भूमिका संदिग्ध है, जिनकी तलाश जारी है। जांच के दौरान गिरोह का मुख्य ऑपरेटर अजित और उसके सहयोगी रमेश नाम के युवकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। दोनों लंबे समय से इस नेटवर्क में सक्रिय थे और इनके पास ही फर्जी खातों और सिम कार्डों का बड़ा भंडार मिला है। पुलिस ने इनके मोबाइल फोन से कई अहम डिजिटल सबूतों को भी कब्जे में लिया है।

साइबर ठगी के बढ़ते मामलों से चिंतित प्रशासन,


जनपद में साइबर अपराध लगातार बढ़ता जा रहा है। पुलिस के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस वर्ष साइबर ठगी के मामलों में 40% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन लेन-देन जितना आसान हुआ है, उतनी ही तेजी से अपराधियों ने अपने तरीकों को अपडेट किया है। डीआईजी ने बताया कि लोगों के पास लगातार नयी-नयी तरह की कॉल, मैसेज और लिंक भेजे जा रहे हैं जिनमें आसानी से कोई भी फंस सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस केवल अपराधियों को पकड़कर समस्या का समाधान नहीं कर सकती। जब तक आम जनता डिजिटल रूप से सचेत और सतर्क नहीं होगी, साइबर ठगी पर पूरी तरह रोक लगाना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि साइबर हेल्पलाइन 1930 पर तुरंत शिकायत करना अत्यंत जरूरी है, ताकि खाते से निकले पैसे पर समय रहते रोक लगाई जा सके।

खाताधारकों की बैंक जानकारी को निशाना, छोटी चूक दे रही बड़ा नुकसान

कई मामलों में अपराधियों ने बैंक ग्राहकों की जानकारी किसी छोटी सी चूक से हासिल की। उदाहरण के लिए—केवाईसी अपडेट करने के नाम पर ओटीपी लेना
लॉटरी-इनाम जीतने का झांसा,सोशल मीडिया पर फर्जी लिंक,मोबाइल नंबर से जुड़े बैंकिंग एप्स का दुरुपयोग,फर्जी विज्ञापनों के माध्यम से कार्ड विवरण निकालना.

विशेषज्ञों का कहना है कि ज्यादातर साइबर अपराध लोगों की असावधानी का फायदा उठाते हैं। लोग तुरंत कॉल पर विश्वास कर लेते हैं और सामने वाले की पहचान की पुष्टि करने की जरूरत नहीं समझते। यही लापरवाही अपराधियों की ताकत बन जाती है।

पुलिस ने शुरू की जनजागरूकता मुहिम


गिरफ्तारी के बाद बस्ती पुलिस ने जिले में व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है। स्कूल-कॉलेज, ग्राम पंचायत, बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर साइबर सुरक्षा से जुड़े पोस्टर लगाए जा रहे हैं। पुलिस टीम लोगों को यह संदेश दे रही है कि—किसी भी व्यक्ति को ओटीपी न बताएं,बैंक कर्मी फोन पर कभी जानकारी नहीं मांगते,संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें,अनजान ऐप डाउनलोड न करें
किसी भी प्रकार की ठगी होने पर 30 मिनट के भीतर 1930 पर शिकायत करें
एसपी ने बताया कि सबसे ज्यादा ध्यान ग्रामीण क्षेत्रों पर दिया जा रहा है, जहां जागरूकता की कमी अधिक है और अपराधी आसानी से शिकार बना लेते हैं।

 गिरफ्तारी महत्वपूर्ण, पर जागरूकता उससे भी ज्यादा जरूरी


बस्ती में साइबर ठगी के इस बड़े गिरोह की गिरफ्तारी निश्चित रूप से पुलिस की बड़ी उपलब्धि है। इससे कई पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी है और आने वाले समय में ऐसी घटनाओं में कमी आ सकती है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि साइबर अपराध की इस नई दुनिया में सबसे बड़ा हथियार जागरूकता है। यदि लोग सतर्क रहेंगे, तो किसी भी ठगी का शिकार नहीं बनेंगे।सरकार और पुलिस की मुहिम तभी सफल होगी जब हर नागरिक यह समझ ले कि डिजिटल दुनिया में सुरक्षा की जिम्मेदारी उसकी अपनी भी है। छोटी-सी सावधानी लाखों रुपये बचा सकती है, और एक गलत क्लिक भारी नुकसान पहुँचा सकता है। इसलिए आवश्यक है कि जनता सतर्क रहे, संदिग्ध संदेश-कॉलों से दूरी बनाए और किसी भी असामान्य गतिविधि की तुरंत शिकायत करें.

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