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बुधवार, 5 नवंबर 2025

सरकारी वकील या सरकारी मजबूरी? — उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था की अदृश्य कमजोरी

 


सरकारी वकील या सरकारी मजबूरी? — उत्तर प्रदेश की न्याय व्यवस्था की अदृश्य कमजोरी

भारत के किसी भी राज्य में शासन की प्रभावशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार अपने निर्णयों और नीतियों का न्यायालयों में कितनी सशक्त रक्षा कर पाती है।
उत्तर प्रदेश जैसे विशाल राज्य में यह चुनौती और भी गंभीर है। यहाँ सुप्रीम कोर्ट से लेकर ज़िला न्यायालयों तक सरकार के पक्ष में मुकदमे लड़ने के लिए हज़ारों सरकारी वकील (Government Counsels) नियुक्त किए गए हैं।लेकिन प्रश्न यह है कि — क्या ये वकील सरकार को सचमुच जिताने में सक्षम हैं, या यह तंत्र केवल एक औपचारिकता बन चुका है?

नियुक्ति की परंपरा और उसका पतन

कानूनी दृष्टि से सरकारी वकील राज्य का मुखर प्रतिनिधि होता है।वह केवल केस नहीं लड़ता, बल्कि शासन की नीतियों, प्रशासनिक निर्णयों और सरकारी कार्रवाई की वैधानिक रक्षा करता है।कभी यह पद गौरव और उत्तरदायित्व का प्रतीक हुआ करता था — अनुभवी अधिवक्ताओं की नियुक्ति योग्यता, ईमानदारी और न्यायालयिक दक्षता के आधार पर होती थी।परंतु पिछले दो दशकों में यह परंपरा धीरे-धीरे “एंटाइटलमेंट कल्चर” (Entitlement Culture) में बदल गई।

अब यह पद सम्मान से अधिक संबंधों का परिणाम बनता जा रहा है।अल्लाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल में टिप्पणी की —

“राज्य के निगमों और संस्थानों में वकीलों की नियुक्ति अब वंशानुगत विशेषाधिकार बन चुकी है।प्रथम-पीढ़ी के योग्य अधिवक्ताओं को अवसर नहीं मिलता।”यह टिप्पणी केवल एक अदालत की नाराज़गी नहीं, बल्कि उस संस्थागत असंतुलन की पहचान है जिसने कानूनी सेवा को योग्यता से हटाकर राजनीति के प्रभाव में डाल दिया है।

 सुप्रीम कोर्ट की फटकार और फीस का संकट

सरकारी वकीलों की स्थिति केवल नियुक्ति तक सीमित नहीं है,बल्कि उनका भुगतान (Payment) और सुविधाएँ भी सरकारी सुस्ती का शिकार हैं।सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए कहा —

“यह स्थिति अस्वीकार्य है कि एक सरकारी वकील को अपनी फीस पाने के लिए अदालत में मुकदमा करना पड़े।”

न्यायालय ने छह सप्ताह की समय-सीमा दी कि राज्य सरकार सभी सरकारी वकीलों के भुगतान हेतु एक स्पष्ट नीति (Payment Policy) बनाए।
यह निर्देश अपने आप में शर्मनाक संकेत था —कि जो वकील सरकार की रक्षा करता है, उसे अपनी मेहनताना के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।वास्तविकता यह है कि अनेक जिलों में वकील महीनों तक फीस के इंतज़ार में रहते हैं।इससे उनकी प्रेरणा घटती है, और सरकार के पक्ष में मुकदमों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।🔹

 अदालतों में सरकार की हार का कारण कौन?

उत्तर प्रदेश में सरकार के खिलाफ लंबित मुकदमों की संख्या लाखों में है।राजस्व, भूमि, पुलिस, सेवा-विवाद, ठेका, शिक्षा—हर विभाग न्यायालयों में फँसा है।इन मुकदमों में सफलता का प्रतिशत देखें तो स्थिति चिंताजनक है।कई बार ऐसा देखा गया है कि सरकार के पास अपने पक्ष के तथ्य तो हैं,पर वकील पर्याप्त तैयारी या दलील नहीं रख पाते।कभी-कभी तो कोर्ट में उपस्थिति तक नहीं होती।सरकार के एक वरिष्ठ सचिव ने अनौपचारिक रूप से कहा था—

“हमारे केस का सच अदालत में नहीं हारता,
हम तैयारी और तर्क में हार जाते हैं।”

यह स्थिति इसलिए भी बनी है क्योंकि सरकार ने वकीलों की नियुक्ति संरक्षकतावादी दृष्टिकोण से की,
जबकि अदालतों में मुकदमा लड़ने के लिए चाहिए था कानूनी पेशेवर दृष्टिकोण।

 जिला न्यायालयों की हकीकत

नीचे की अदालतों में स्थिति और भी कठिन है।अक्सर सरकारी वकील एक साथ दर्जनों मुकदमे संभालते हैं।कई बार केस फाइलें समय पर नहीं मिलतीं, गवाह उपस्थित नहीं होते, या विभागीय अधिकारी सहयोग नहीं करते।परिणाम यह होता है कि सरकार अपने ही केस में अनुपस्थित पक्ष बन जाती है।नोएडा ज़िला न्यायालय में हाल की रिपोर्ट बताती है कि लगभग चार लाख मामले लंबित हैं,और इनमें से लगभग २५ प्रतिशत में सरकारी वकील या सरकारी पक्ष की अनुपस्थिति के कारण सुनवाई नहीं हो पा रही।यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि जनता के पैसे का भी दुरुपयोग है।

 नियुक्ति और उत्तरदायित्व की खाई

एक बड़ी समस्या यह है कि सरकारी वकीलों के चयन में कानूनी दक्षता की समीक्षा (Performance Evaluation) का कोई स्थायी तंत्र नहीं है।एक बार नियुक्ति हो जाने के बाद, अधिकांश वकील वर्षों तक पद पर बने रहते हैं,चाहे उनका प्रदर्शन औसत या कमजोर क्यों न हो।उनके काम का आकलन किसी स्वतंत्र संस्था द्वारा नहीं किया जाता।ससे उत्तरदायित्व (Accountability) का भाव समाप्त हो जाता है।

अगर सरकार उन्हें केवल “सरकारी नाम” के लिए रखेगी,तो न्यायालयों में उसकी हार भी “सरकारी” बन जाएगी। सुधार की दिशा में सकारात्मक कदमफिर भी, तस्वीर पूरी निराशाजनक नहीं है।हाल में सरकार और न्यायालय दोनों स्तरों पर सुधार के संकेत दिखाई दिए.

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