नकली व्यापार का जाल और जवाबदेही का सवाल
कप्तानगंज बाजार में छापेमारी ने खोली उपभोक्ता सुरक्षा की असल हकीकत
बस्ती, उत्तरप्रदेश
बस्ती जिले के शांत से लगने वाले कप्तानगंज कस्बे का बाजार आज आग की तरह चर्चा में है। एक प्रसिद्ध टॉयलेट क्लीनर कंपनी द्वारा किए गए छापे में बड़ी मात्रा में नकली हार्पिक जब्त किया गया। सैकड़ों लीटर के डिब्बों में नकली केमिकल, डुप्लीकेट बोतलें और कंपनी जैसी पैकिंग देखकर किसी साधारण उपभोक्ता को यह पहचानना संभव ही नहीं था कि वह विष खरीद रहा है, सफाई नहीं।पिछले कई महीनों से कंपनी को मिल रही शिकायतों ने आखिरकार इस धोखे के जाल को उजागर कर दिया। फर्म के अधिकारियों ने कप्तानगंज क्षेत्र की दर्जनों दुकानों में संयुक्त छापेमारी की, जिसमें हर गली हर दुकान से नकली हार्पिक निकला। यह दृश्य केवल एक उत्पाद के नकलीपन का नहीं, बल्कि राज्य के उपभोक्ता नेटवर्क और जन सुरक्षा व्यवस्था के ढहे हुए ढांचे का प्रमाण है।
जब बाजार बन जाए धोखे का अड्डा कप्तानगंज जैसे कस्बे में जहां लोग सीमित आय में रोजमर्रा की चीजें खरीदते हैं, वहां इस तरह का नकली सामान मिलना केवल आर्थिक ठगी नहीं, बल्कि स्वास्थ्य पर हमला है। एक टॉयलेट क्लीनर में केमिकल की संतुलित मात्रा न होने पर उसके धुएं तक जानलेवा हो सकते हैं। नकली उत्पाद केवल कंपनी की बदनामी नहीं करते, बल्कि सीधे-सीधे उपभोक्ता की जान पर खतरा बनते हैं।इस मामले में पुलिस ने सतोष कुमार, मोहम्मद करम हुसैन, राजेश कुमार और ज्ञान चंद के खिलाफ कॉपीराइट एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। पर सवाल यह है कि क्या केवल मुकदमे दर्ज कर देने से यह श्रृंखला खत्म हो जाएगी? या फिर कुछ दिन बाद किसी नए ब्रांड के नाम पर इसी तरह का खेल चल पड़ता रहेगा?

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