भारतीय सेना और वन्दे मातरम् की अनुगुंज( 18) - कौटिल्य का भारत

Breaking News

Home Top Ad

विज्ञापन के लिए संपर्क करें - 9415671117

Post Top Ad

मंगलवार, 25 नवंबर 2025

भारतीय सेना और वन्दे मातरम् की अनुगुंज( 18)

 

अष्टांदश (18) श्रृंखला
भारतीय सेना और वन्दे मातरम् की अनुगुंज





भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की सबसे तेज, सबसे प्रखर अनुगुंज यदि कहीं सुनाई देती है तो वह रणभूमि है—जहाँ वक्ष पर बहता रक्त राष्ट्रधर्म का साक्षी बनता है। और इस रणभूमि की आत्मा में रची-बसी एक अमर ध्वनि है—“वन्दे मातरम्!”
यह केवल उच्चारण नहीं, यह शस्त्र-संकल्प है; यह मातृभूमि का निश्चयी आह्वान है; यह सैनिक के भीतर सोये हुए शौर्य को जगाने वाला बीज मंत्र है। भारतीय सैनिक के हृदय में राष्ट्रमंत्र, भारतीय सेना का धर्म—“सेवा परमो धर्मः”, और उस धर्म का प्रेरक—मातृभूमि।
जब जवान हिमालय की चोटियों पर हिम-अग्नि से जूझता है, जब रेगिस्तान की तपती रेत में कदम-कदम देश की सीमा का वचन निभाता है, तब उसकी शिराओं में इस उद्घोष का उष्म प्रवाह धड़कता है— वन्दे मातरम्! हमारी शस्त्र-पूजा, रक्षाधर्म और राष्ट्रभक्ति का प्राण मंत्र।
इतिहास के रणगर्जन में वन्देमातरम्,c1905 के अभियानों और क्रांतिकारी दले—अनुशीलन समिति, आज़ाद हिन्द फौज—सबके लिए यह ज्वालामंत्र था।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के सैनिकों की जिह्वा पर यह उद्घोष धधकता था—
“वन्दे मातरम् — जय हिन्द!”भारत-पाक युद्धों में 1965, 1971… गोलियों की आवाज़ के बीच भी सैनिकों की पुकार—“वन्दे मातरम्!” शौर्य का यह स्वर सीमाओं पर अमर प्रहरी बना खड़ा रहा।

 सैनिक की प्रतिज्ञा में मातृभक्ति:सीमा पर खड़े सैनिक के सामने धर्म, पंथ, जाति, दल सभी छोटे पड़ जाते हैं। उसका एक ही परिचय—भारतीय, और एक ही माता—भारत माता।वह जानता है—“वन्दे मातरम्” कहना युद्ध का आह्वान नहीं,
बल्कि मां की रक्षा का संकल्प है। यह भाव सैनिक के लिए शस्त्र का तेज, और आत्मा की शांति—दोनों बन जाता है।

भारतीय सेना—वेदनीति और मातृ-संस्कृति,भारतीय सैनिक केवल भौतिक सीमाओं की रक्षा नहीं करता, वह संस्कृति की मर्यादा का भी प्रहरी है।अशोक-ध्वज से लेकर तिरंगे की महिमा तक—भारत माता सर्वोच्च, यही सैन्य-धर्म का सार।और यही तो बंकिमचन्द्र के शब्दों की आत्मा थी—मातृभूमि को देवी मानना,युद्ध को यज्ञ मानना,और सैनिक को यजमान मानकर उसकी आहुति देना।

आधुनिक परिप्रेक्ष्य — नवयुग की रणध्वनि: 21वीं सदी की नई चुनौतियों—आतंकवाद, साइबर युद्ध, सीमा घुसपैठ—सभी के बीच यह उद्घोष आज भी उतना ही प्रासंगिक—सीमा चौकियों पर पासिंग-आउट परेड में विजय दिवस पर शौर्यचक्र से अलंकृत क्षणों में हर बार यह आवाज़, हर बार वही गौरव— “वन्दे मातरम्”भारत के सैनिक का अनश्वर पहचान-चिह्न।

- शौर्य की अखण्ड अनुगुंज: भारतीय सेना जब सांस लेती है तो मातृभूमि उसकी श्वास में बसती है। जब वह रणभूमि में गर्जता है तो वंदेमातरम् उसकी ध्वनि बनकर गूँजता है।  यह गीत नहीं — यह भारत की कवच-शक्ति है।यह नारा नहीं — यह सैनिक का अंतिम प्रण है। यह विजय-सूत्र है — भारतीय सेना की आत्मा।

अतएव— जहाँ भारत की सीमा है,वहीं वन्दे मातरम् की अनुगुंज अमर है।
जय हिन्द! वन्देमातरम 🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Bottom Ad