राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पर बस्ती में इतिहास रचा 36 विद्यालयों के 34,000 बच्चों ने सामूहिक रूप से गाया राष्ट्रप्रेम का महामंत्र - कौटिल्य का भारत

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सोमवार, 8 दिसंबर 2025

राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पर बस्ती में इतिहास रचा 36 विद्यालयों के 34,000 बच्चों ने सामूहिक रूप से गाया राष्ट्रप्रेम का महामंत्र

 

राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 वर्ष पर बस्ती में इतिहास रचा
36 विद्यालयों के 34,000 बच्चों ने सामूहिक रूप से गाया राष्ट्रप्रेम का महामंत्र

बस्ती (उ.प्र.)।


भारतीय स्वतंत्रता चेतना के प्राणगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर पूरे बस्ती जनपद में राष्ट्रप्रेम का अद्भुत और अनुपम दृश्य देखने को मिला। सोमवार की सुबह शहीद सत्यवान सिंह स्टेडियम राष्ट्रभक्ति के सागर में तब्दील हो गया, जब जनपद के 36 विद्यालयों के 34,000 छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने एकसाथ, एक सुर में "वंदे मातरम" का सामूहिक गायन किया। समूचे शहर में लगे ध्वनि-विस्तारकों से यह राष्ट्रमंत्र गूंज उठा और बस्ती का वातावरण मां भारती के जयघोष से रोमांचित हो उठा। मानो पूरा शहर एक स्वर में अपने राष्ट्र-देवी को प्रणाम कर रहा हो.

सार्धशती उत्सव : राष्ट्रप्रेम का भव्य महायज्ञ::वंदे मातरम सार्धशती उत्सव आयोजन समिति द्वारा आयोजित यह दिव्य कार्यक्रम प्रशासनिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी उल्लेखनीय रहा।दीप प्रज्वलन व मातृभूमि स्वरूप मां भारती की तस्वीर पर पुष्पांजलि के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इसके उपरांत “वंदे मातरम् एवं राष्ट्रनिर्माण में युवाओं की भूमिका” विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित की गई।

वदे मातरम् : राष्ट्र की नवचेतना का महामंत्र::कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कैलाश नाथ दूबे ने कहा—“वंदे मातरम् कोई सामान्य गीत नहीं, यह राष्ट्र की नवचेतना, स्वाधीनता और मातृभूमि को समर्पण का महामंत्र है। हमारा उद्देश्य विद्यार्थियों में एकता, बलिदान और राष्ट्ररक्षा के मूल्य का संस्कार स्थापित करना है।”उन्होंने बताया कि यह गीत 150 वर्षों से स्वाधीनता भावना का प्रेरक पुंज रहा है। यह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध जन-विद्रोह की चिंगारी, स्वाभिमान और स्वदेशी का ध्वज बनकर आज भी देश को जोड़ता है।

भारत माता की संपूर्ण वंदना : डीआईजी संजीव त्यागी का संदेश::परिक्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक संजीव त्यागी ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा—“जननी और जन्मभूमि दोनों ही माता के समान हैं। भारत दुनिया का वह देश है जिसे हम ‘माँ’ कहकर पुकारते हैं। वंदे मातरम् स्वाभिमान, एकता और राष्ट्रीय चेतना का अखंड प्रतीक है। युवा स्वदेशी को अपनाकर आत्मनिर्भर भारत निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।”


राष्ट्र की चेतना को जगाने वाला स्तोत्र : आरएसएस प्रांत प्रचारक:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत   प्रचारक  रमेश जी ने कहा—“वंदे मातरम् केवल गीत नहीं है, यह राष्ट्र-चेतना को जगाने वाली भावपूर्ण वंदना है, जिसने स्वतंत्रता संग्राम को दिशा और शक्ति प्रदान की।”उन्होंने जानकारी दी कि 7 नवंबर 1875 को बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इस गीत की रचना की थी। यह क्रांतिकारियों के हृदय की अग्नि बना और अंग्रेजी शासन की नींव हिलाने का कारण बना।आज आवश्यकता है कि नई पीढ़ी इस गीत के अर्थ, महत्व और उसके ऐतिहासिक योगदान को समझे, तभी सच्चा राष्ट्रनिर्माण सम्भव है।प्रशासनिक उपस्थिति::कार्यक्रम में मुख्य राजस्व अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक संजय सिंह, जिला क्रीड़ा अधिकारी सहित कई प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे।नगर के प्रमुख विद्यालयों की अद्वितीय भागीदारी इस महान राष्ट्रोत्सव में बस्ती के प्रमुख विद्यालयों के छात्र-छात्राओं ने सामूहिक सहभागिता कर मातृभक्ति का अनोखा दृश्य निर्मित किया। सहभागी संस्थानों में शामिल रहे—

श्री राम पब्लिक स्कूल, एएसजीएस इंटर कॉलेज हरैया, पंडित चतुर्भुज इंटर कॉलेज कप्तानगंज, कर्मा देवी ग्रुप ऑफ एजुकेशन, लिटिल फ्लावर स्कूल, माउंट कॉन्वेंट, सीडीए स्कूल, राजकीय कन्या इंटर कॉलेज, राजकीय इंटर कॉलेज, सरस्वती विद्या मंदिर, सरस्वती बालिका विद्यालय, बेगम खैर इंटर कॉलेज, सेंट बेसिल, पाण्डेय गर्ल्स स्कूल, सेंट जोसेफ, शिव हर्ष किसान इंटर कॉलेज, डॉन वास्को, ब्लूमिंग बड्स, इंडियन पब्लिक स्कूल, जागरण पब्लिक स्कूल, श्रीनेत ग्लोबल, एसपी चिल्ड्रेंस एकेडमी, कृषक इंटर कॉलेज, आर्य कन्या इंटर कॉलेज, सेंट्रल एकेडमी, साक्सेरिया, फोनिक्स पब्लिक स्कूल आदि।

उत्सव की शोभा बढ़ाने वाले गणमान्य::कार्यक्रम की अध्यक्षता जगदीश मिश्र ने की। मुख्य रूप से उपस्थित रहे—अखिलेश दूबे, शुशील मिश्र, डॉ. रोहन दूबे, अतुल चित्रगुप्त, मनीष सिंह, रमेश सिंह, डॉ. शैलेष सिंह, भोलानाथ चौधरी, अर्पित गौड़, ओमकार मिश्र, हर्ष मिश्र, पंकज त्रिपाठी, अंकुर यादव, सच्चिदानंद पांडेय आदि गणमान्यजन।

 वही गीत, वही मातृभूमि, लेकिन नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा का नव-संकल्प::आज जब राष्ट्र अमृतकाल में प्रवेश कर रहा है, तब वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ नई पीढ़ी को यह संदेश देती है कि भारत केवल भौगोलिक भूमि नहीं, यह माँ है — जिसका सम्मान, संरक्षण, और उत्थान हर भारतीय का दायित्व है।

वंदेमातरम् केवल गाया नहीं जाता, इसे जिया जाता है…
इसी भाव ने बस्ती को एक ऐतिहासिक दिवस का साक्षी बनाया।

वंदे मातरम्! भारत माता की जय 🙏

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