श्रीराम सीता विवाह की धूम – भाव-विभोर हुआ नगर
बस्ती का वातावरण आज भक्ति, संस्कृति और भावनाओं के दिव्य संगम से सराबोर दिखाई दिया। सक्सेरिया इंटर कॉलेज प्रांगण में चल रहे सनातन धर्म संस्था, बस्ती के षष्ठम वर्ष के श्रीरामलीला महोत्सव के तीसरे दिन का मंचन अलौकिक रहा।
धनुष यज्ञ से लेकर सीता स्वयंवर, परशुराम–लक्ष्मण संवाद, और श्रीराम–जानी की विवाह रूपी पावन प्रसंगों ने उपस्थित दर्शकों को मानो त्रेता युग में पहुँचा दिया। धनुष भंग — वीरता का उद्घोष,जनक प्रतिज्ञा के साथ प्रारम्भ हुई लीला मेंए,स.डी.एस. स्कूल खड़ौहा के बाल कलाकारों नेशिव-धनुष भंग के दृश्य पर तालियों की गड़गड़ाहट लूटी।व्यास राजा बाबू पाण्डेय के संवाद मन को छू गए—“शिव का धनुष जहाज है और राम का बल समुद्र। धनुष टूटते ही मोह का जहाज डूब गया।”दर्शक पुष्पवर्षा में नहाते हुए जय श्रीराम के उद्घोष से पांडाल गूँजा।
परशुराम–लक्ष्मण संवाद — गरिमा और गर्जना साथ-साथ,यूनिक साइंस एकेडमी के बच्चों ने अगला अंक प्रस्तुत किया।परशुराम के क्रोध की दहाड़ और लक्ष्मण के उग्र उत्तर —मंचन गिरि-ध्वनि की तरह प्रतिध्वनित होता रहा।तालियों की आवाज़ ही नहीं, भावों की तरंग भी थमती न थी।यह संवाद हर वर्ष रामलीला की शान होता है—और इस बार तो दर्शकों ने स्वयं मंच को पुरस्कार-बसाया।
राम–जानकी विवाह — आनंद, उल्लास और भाव,ढोल, नगाड़ों और जयमाल के नाज़ुक क्षणों के बीचबारातियों में शामिल दर्शक स्वयं अयोध्या का अनुज बन गए।सीता–राम के चरण वंदन का दृश्य—
जहां श्रद्धा के पद चिह्नों को लोग अपने हृदय पर अंकित कर रहे थे।पूरा पांडाल स्वर्गिक पुष्प-वर्षा से सुवासित हो उठा।
विदाई — आँसू और आत्मिक प्रेम,सुनैना और जनक के संवाद नेहर आँख की देहरी पर उमड़ते-गिरते आँसुओं की नदी लादी

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