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गुरुवार, 6 नवंबर 2025

“अयोध्या–गोरखपुर 6 लेन में ( एन एच आई )आधे दाम का ठेका, आधी सड़क का सच!”




 “अयोध्या–गोरखपुर 6 लेन में आधे दाम का ठेका, आधी सड़क का सच!”


बस्ती से रिपोर्ट : कौटिल्य वार्ता विशेष संवाददाता




अयोध्या से गोरखपुर तक भगवान राम की नगरी कोमहायोगी गुरु गोक्ष नाथ नगरी   से जोड़ने वाली 6-लेन परियोजना अब सवालों के घेरे में है। बस्ती जिले से होकर गुजरने वाले इस हिस्से में “आधे मूल्य पर ठेका, आधी गुणवत्ता का काम” — जनता के गले की फाँस बनता जा रहा है। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों का आरोप है कि जिस फर्म को यह कार्य मिला है, उसने बिलो-रेट (यानी निर्धारित लागत से भी आधे मूल्य) पर निविदा लेकर काम तो शुरू किया, लेकिन पुरानी सड़कों की खुर्चन, निकृष्ट डामर और प्रशासनिक संरक्षण के बल पर करोड़ों का खेल रच डाला गया।


 बस्ती से कप्तानगंज तक सड़क की परतें महीनों में उखड़ीं

बस्ती–कप्तानगंज मार्ग पर जगह-जगह सड़क की ऊपरी परतें दो से तीन महीनों में ही उखड़ गईं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पुराने डामर और रीसाइकिल मलबे को “नई तकनीक” का नाम देकर फिर से बिछाया गया। परिणाम — सड़क की उम्र 10 साल से घटकर 3 साल भी नहीं बचेगी।

 ठेकेदार–प्रशासन गठजोड़ का आरोप कौटिल्य भारत की टीम के सर्वे में पाया गया कि कई PWD निरीक्षण रिपोर्टें सिर्फ कागज़ों पर तैयार की गई हैं। साइट निरीक्षण के दौरान अभियंता अनुपस्थित रहते हैं, और फोटोग्राफिक एविडेंस पुराने प्रोजेक्ट से कॉपी-पेस्ट कर लगाए जा रहे हैं।
स्थानीय जनप्रतिनिधि भी इस पर चुप हैं — मानो “आधा रेट = आधा सच = पूरा मुनाफा”।

सरकार के नाम पर जनता की जेब पर डाका जानकार बताते हैं कि ठेका दर में 45 से 50% तक कमी का अर्थ है या तो गुणवत्ता से समझौता, या आर्थिक गणना में धांधली। यदि कोई फर्म वास्तव में इतने कम मूल्य पर काम कर रही है, तो सरकार को उसकी तकनीक सार्वजनिक करनी चाहिए —
ताकि देश जाने कि आखिर ऐसा “चमत्कार” संभव कैसे है!

नितिन गडकरी से जांच की मांग, इस मामले पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजकर
“CVC या NHAI मुख्यालय” से जांच की मांग की है। पत्र में यह भी कहा गया है कि “बिलो-रेट ठेके की आड़ में जो भ्रष्टाचार का प्रयोगशाला चल रही है, उसे तुरंत रोका जाए।
सड़क की गुणवत्ता ही जनता के जीवन की सुरक्षा है।” प्रशासनिक मिलीभगत या तकनीकी धोखा?
सूत्रों का कहना है कि जिस सामग्री को रीसाइकिल्ड डामर बताया जा रहा है, वह दरअसल खुर्चन (पुराने डामर की परत) है — जिसे अंतरराष्ट्रीय मानक सड़क सुरक्षा श्रेणी में निषिद्ध मानते हैं।
परंतु स्थानीय इन एच आई पीडी ने न कोई सैंपल रिपोर्ट ली, न कोई गुणवत्ता नियंत्रण परीक





  सरकार को सचेत किया है कि यदि शीघ्र थर्ड पार्टी लैब टेस्टिंग और वित्तीय ऑडिट नहीं हुआ,
तो आने वाले मानसून में यह सड़क “राष्ट्रीय राजमार्ग नहीं, राष्ट्रीय खतरा” बन जाएगी।


जनता की आवाज़ : “राम की नगरी तक भ्रष्टाचार की सड़क नहीं चाहिए
 स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मार्ग अयोध्या को गोरखपुर से जोड़ता है —एक ओर भगवान राम की जन्मभूमि, दूसरी ओर महंत योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि। इस मार्ग का प्रत्येक किलोमीटर “धर्म और विकास का प्रतीक” होना चाहिए,
ना कि धंधे और धूल का  द्वन्द.

“यदि कोई फर्म वास्तव में आधे दाम में गुणवत्तापूर्ण कार्य कर रही है —
तो सरकार उसकी तकनीक को सार्वजनिक कर देशभर में लागू करे,
अन्यथा इस ठेके को जनता के करों की लूट घोषित कर कठोर कार्रवाई करे

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