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शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

विकास वही जो विरासत से संवाद करें

 


भारत के नवनिर्माण की सही दिशा वही है जो अपनी सांस्कृतिक विरासत से संवाद करे और “अंत्योदय” के मौलिक विचार को समाज की नीति और चिंतन में केंद्रित रखे। आजादी के बाद से लेकर आज तक हमारे लिए विकास का अर्थ केवल भौतिक संसाधनों की उपलब्धता नहीं, बल्कि अंतिम व्यक्ति के कल्याण तक पहुंचना रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद और उनके अंत्योदय दर्शन ने भारतीय विकास प्रक्रिया को आत्मिकता, सांस्कृतिकता और समावेशी दृष्टि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मन की बात” और विकसित भारत @2047 का संकल्प इसी सांस्कृतिक संवाद, अंतिम व्यक्ति की चिंता और भारतीयता के गौरव की पुष्टि है

.विरासत से संवाद का अर्थभारतीय संस्कृति में ‘विकास’ का अभिप्राय केवल नवीनता लाना नहीं है, बल्कि अपनी पारंपरिक जड़ों के साथ सक्रिय संवाद करते हुए आगे बढ़ना है। मध्यप्रदेश हो या काशी, विकास के साथ विरासत के संरक्षण को महत्ता दी जा रही है—राम वनगमन पथ, प्रयाग, अयोध्या, काशी, चित्रकूट जैसे सांस्कृतिक स्थलों के पुनरुद्धार और आधुनिक विकास-योजना का संगम इसी नीति का उदाहरण है.दीनदयाल उपाध्याय का अंत्योदय दर्शनपंडित दीनदयाल उपाध्याय ने जब अंत्योदय का विचार प्रस्तुत किया, तो उसका उद्देश्य केवल गरीब कल्याण नहीं था, बल्कि समाज की समग्र एकात्मता और अंतिम व्यक्ति के उत्थान को केंद्र में रखना था। उनका मानना था:

“जो व्यक्ति या समुदाय समाज में पीछे छूट जाता है, उसके उत्थान से ही समाज समग्र विकास कर सकता है।”इसी चिंतन से आज प्रवर्तित सरकार की योजनाएं निकलती हैं—जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान व ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे नवाचारों में अंत्योदय की आत्मा स्पष्ट झलकती है.मन की बात: संवाद की नई परंपरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “मन की बात” कार्यक्रम सांस्कृतिक संवाद का आधुनिक स्वरूप है। इससे शासन की बात लोगों तक सहज रूप में पहुँचती है और समकालीन भारत की समस्याओं, नवाचारों एवं नागरिक भागीदारी को राष्ट्रीय संवाद में बदल देती है। स्थानीय उत्पादों का सम्मान, जन भागीदारी, युवाओं की शक्ति, छोटे किसानों का सशक्तिकरण—ये सारी बातें अंत्योदय के मूल विचार से जुड़ी हैं.
विकसित भारत @2047: सांस्कृतिक सोच और नई लक्ष्य‘विकसित भारत @2047’ प्रधानमंत्री मोदी की उस संकल्पना का विस्तार है जिसमें युवा, किसान, महिलाएं, कारीगर, वैज्ञानिक, सभी सहभागी हैं। इसमें आर्थिक उन्नति, सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक गौरव और पर्यावरणीय संतुलन पर बल दिया गया है।
हर नीतिगत प्राथमिकता—युवा आवाज, स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा, व्यक्ति निर्माण—अंत्योदय के दर्शन और विरासत संवाद की पुष्टि करती है.निष्कर्षअंत्योदय और विरासत से संवाद को केंद्र में रखे बिना भारत का नवनिर्माण अधूरा है। आज की शासन-नीति और समाज में यह स्पष्ट झलक रही है कि हमारी परंपराएँ दिशा देती हैं और आधुनिकता उसके साथ सामंजस्य बैठाती है। ”मन की बात” का मंच, सरकार की योजनाएँ और भारत @2047 का संकल्प राष्ट्र के लिए वह मार्ग रेखांकित कर रहे हैं जिसमें अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचे, और हर नागरिक विरासत पर गर्व करे, भारतीयता के स्वाभिमान से आत्मनिर्भर बने.प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जो विरासत से विकास के संवाद को प्रतिपादित करते है.


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