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मंगलवार, 14 अक्टूबर 2025

“बागवानी फसलों ने बदला प्रदेश के किसानों का आर्थिक परिदृश्य

 

“बागवानी फसलों ने बदला प्रदेश के किसानों का आर्थिक

 परिदृश्य”मनोज यादव पत्रकार



प्रदेश सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों में बागवानी फसलों का विस्तार एक मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है। प्रस्तुत लेख में यह स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि किस प्रकार पारंपरिक खेती की सीमाओं से आगे बढ़कर किसान अब बागवानी, औषधीय और सगंध पौधों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

लेख की संरचना तथ्यात्मक है — इसमें फसल विविधता, सरकारी योजनाएँ, तकनीकी सहयोग, अनुदान तथा प्रशिक्षण जैसे बिंदु व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किए गए हैं। विशेष रूप से उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा संचालित “एकीकृत बागवानी विकास मिशन” और “औषधीय पौध मिशन” जैसे कार्यक्रमों का उल्लेख इसकी सार्थकता को बढ़ाता है।

लेख का सबसे सकारात्मक पक्ष यह है कि इसमें किसान-केंद्रित नीतियों का व्यावहारिक परिप्रेक्ष्य उभरकर आता है। बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्रों के उदाहरण यह दिखाते हैं कि सरकार ने भौगोलिक विषमता को ध्यान में रखते हुए योजनाएँ बनाई हैं। इज़राइल सहयोग से स्थापित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस जैसी पहलें यह संकेत देती हैं कि प्रदेश अब पारंपरिक कृषि से आधुनिक, तकनीक-आधारित कृषि की ओर अग्रसर है।

हालांकि, लेख में यह उल्लेख किया जा सकता था कि बागवानी फसलों की विपणन व्यवस्था, भंडारण, कोल्ड चेन, और मूल्य स्थिरता को लेकर किसानों को किन व्यावहारिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। केवल उत्पादन बढ़ाने से अधिक महत्त्वपूर्ण है कि उत्पाद का उचित मूल्य और निरंतर बाजार सुनिश्चित हो।




फिर भी, लेख नीति-प्रधान और प्रेरक है। इसमें सरकार की योजनाओं का वर्णन मात्र नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र की दिशा बदलने की झलक भी है।
निष्कर्षतः, यह लेख दर्शाता है कि “कृषि से आत्मनिर्भरता” का मार्ग केवल परंपरा नहीं, नवाचार से होकर गुजरता है। बागवानी अब खेती का वैकल्पिक नहीं, बल्कि सशक्त भविष्य बनती जा रही है।

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