मेडिकल बस्ती की दुनिया स्तब्ध!
फर्जीवाड़े की जकड़ में वरिष्ठ डॉक्टर!—डॉ. प्रमोद चौधरी पर अस्पताल लाइसेंस में धोखाधड़ी और फर्जी सर्टिफिकेट का आरोप
बस्ती।उत्तरप्रदेश
प्रसिद्ध चिकित्सक और अस्पताल संचालक डॉ. प्रमोद चौधरी अब कानूनी शिकंजे में फंसते नज़र आ रहे हैं। पुरानी बस्ती पुलिस ने उनके खिलाफ फर्जी एक्स-रे टेक्नीशियन प्रमाण पत्र मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) दफ्तर में प्रस्तुत करने के गंभीर आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है।जानकारी के मुताबिक, एक एक्स-रे टेक्नीशियन के प्रमाण पत्र का कूटरचना (फर्जी दस्तावेज़ बनाना) कर अस्पताल का लाइसेंस लेने की लम्बी चाल चली गई थी।
जब असली टेक्नीशियन को इसका पता चला तो उसने अपने प्रमाण पत्र के दुरुपयोग को लेकर पुरानी बस्ती थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज कराई। रिपोर्ट में धारा 318(2), 115(2), 352 और 351(3) के तहत आपराधिक मामला दर्ज हुआ है।एफआईआर दर्ज कराने वाले मोहम्मद रफीउद्दीन खान ने शपथ पत्र देकर बताया कि डॉ. प्रमोद ने नियमन की धज्जियाँ उड़ाते हुए दस्तावेजों में जालसाजी की। इससे पहले भी रेड क्रॉस सोसाइटी, बस्ती के चुनाव में डॉ. प्रमोद पर कूटरचना के आरोप लगे थे—अब वही इतिहास दोहराता दिखाई दे रहा है।सूत्रों के अनुसार, मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जांच के बाद डॉ. प्रमोद के अस्पताल को सील भी कर दिया है। सीएमओ का निर्देश है कि जब तक दस्तावेज़ों की सत्यता सिद्ध नहीं होती, तब तक अस्पताल का संचालन पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा।चौंकाने वाली बात यह है कि एक वरिष्ठ चिकित्सक होकर डॉ. प्रमोद ने चिकित्सा पेशे को कलंकित कर दिया है।
समाज जिन डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देता है, वहां झूठे कागज़ों से मान्यता पाना पेशे की गरिमा को तार-तार करने जैसा अपराध है।कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रारंभिक साक्ष्य पुख्ता पाए जाते हैं तो यह मुकदमा धोखाधड़ी और सरकारी रिकॉर्ड में जालसाजी जैसी गंभीर धाराओं में बदल सकता है। बस्ती की चिकित्सा बिरादरी में इस घटना ने गहरा आक्रोश और अविश्वास पैदा कर दिया है।

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