मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर: बिना मेड़बंदी कराए 8.31 लाख का भुगतान, ग्राम प्रधान के अधिकार सीज
बस्ती।
जनपद बस्ती के विकास खंड गौर अंतर्गत ग्राम पंचायत–बैदोलीया (भारीनाथ) में मनरेगा के तहत खेतों की मेड़बंदी के नाम पर बिना कार्य कराए लाखों रुपये के भुगतान का गंभीर मामला सामने आया है। जिला प्रशासन की जांच में खुलासा हुआ है कि काग़ज़ों में काम दिखाकर वास्तविकता में कोई मेड़बंदी नहीं कराई गई, इसके बावजूद अलग-अलग लाभार्थियों के नाम पर ₹8,31,680 की धनराशि का भुगतान दर्शाया गया।
प्राप्त जांच आख्या के अनुसार, मेड़बंदी का कार्य वर्ष 2023–24 में कराया जाना दर्शाया गया, जबकि भौतिक सत्यापन वर्ष 2025–26 में हुआ। मनरेगा मास्टर सर्कुलर 2019–20 के पैरा 7.12.2 (4)(ख) के मुताबिक खेत की मेड़बंदी का स्थायित्व 10–15 वर्ष होता है। ऐसे में दो वर्ष बाद भी मेड़बंदी के चिन्ह मौजूद होने चाहिए थे, लेकिन जांच टीम को किसी भी खेत में मेड़बंदी का अस्तित्व नहीं मिला।
जांच में पांच मामलों का विस्तार से परीक्षण किया गया, जिनमें प्रति खेत ₹80,500 से ₹86,790 तक का भुगतान दिखाया गया। मौके पर निरीक्षण के दौरान कोई भौतिक साक्ष्य नहीं मिला। लाभार्थियों से शपथपत्र प्रस्तुत कराए गए, परंतु अभिलेखीय/भौतिक प्रमाण उपलब्ध नहीं कराए जा सके। जांच रिपोर्ट में इसे काग़ज़ी काम और ज़मीनी शून्यता करार दिया गया है।
प्रशासन ने उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1947 की धारा 95(1)(छ) के तहत कार्रवाई करते हुए ग्राम प्रधान ममता पाण्डेय के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीज कर दिए हैं। साथ ही पंचायत के कार्यों के संचालन के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। जांच में ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव और तकनीकी सहायक को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट, बस्ती के आदेश के क्रम में जिला समाज कल्याण अधिकारी को अंतिम जांच अधिकारी नामित किया गया है, जिन्हें प्रकरण की अंतिम जांच पूर्ण कर आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। संबंधित अधिकारियों—सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) एवं खंड विकास अधिकारी, गौर—को भी आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है। इसके अलावा, पंचायत सदस्यों की सूची सात दिनों के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि समिति का गठन किया जा सके।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अंतिम जांच में आरोपों की पुष्टि होने पर वसूली, दंडात्मक कार्रवाई और आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने की भी संभावना है। इस मामले ने एक बार फिर मनरेगा में पारदर्शिता और निगरानी पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सरकारी धन के दुरुपयोग पर शून्य सहनशीलता की नीति के तहत कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
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