एकचत्वारिंशत् श्रृंखला 41
वन्देमातरम भारत की आध्यत्मिक सत्ता!(41वां)
वन्दे मातरम भारत की आध्यात्मिक सत्ता का संगीतमय प्रतिबिंब है, जो मातृभूमि को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि की देवी रूप में वंदना करता है। यह गीत सनातन संस्कृति की गहराई से निकला मंत्र है, जो वेदों की 'माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः' चेतना को आधुनिक राष्ट्रवाद से जोड़ता है। वैदिक आधार और सांस्कृतिक जड़ेंभारत की आध्यात्मिक सत्ता वेदों में निहित है, जहां अथर्ववेद (12.1.12-62) भूमि को सप्तमाता के रूप में पूजता है। वन्दे मातरम के प्रारंभिक पद 'वन्दे मातरम्, सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्' इसी प्रथ्वी सूक्त से प्रेरित हैं, जो मातृभूमि को जल, फल, शीतलता और शस्यश्यामला के गुण प्रदान करने वाली जननी घोषित करते हैं। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने 1882 के आनन्दमठ में इसे रचा, जहां संन्यासी विद्रोह के माध्यम से भारतमाता को दुर्गा के नवदुर्गा रूपों से जोड़ा। संस्कृत-बांग्ला मिश्रण इस गीत को शास्त्रीय आध्यात्मिकता का पुल बनाता है, जो अद्वैत वेदांत की एकत्व भावना को साकार करता है।
उपनिषदों के 'तत्वमसि' सिद्धांत से प्रेरित यह वंदना व्यक्ति को राष्ट्र-आत्मा से एकाकार करने का माध्यम बनी। पुराणों में देवीभागवत और मार्कण्डेय पुराण दुर्गा को विश्वरक्षिणी बताते हैं, ठीक वैसे ही जैसे गीत में 'तव शुभ्रां जसां यां, नमामि कमलां अमलां अतुलां' लक्ष्मी रूप का वर्णन है। यह आध्यात्मिक सत्ता शक्ति की गतिशील ऊर्जा है, जो शून्य से सृष्टि का उद्गम करती है। श्री अरविंदो ने अपनी 'भारतीय आध्यात्मिकता' में इसे 'राष्ट्र-चेतना का जागरण' कहा, जो कल्कि अवतार की प्रतीक्षा में सामूहिक तपस्या का रूप लेता है। स्वतंत्रता संग्राम में आध्यात्मिक प्रेरणा1896 के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा गाए जाने के बाद वन्दे मातरम बंगभंग आंदोलन (1905) का जयघोष बना। लॉर्ड कर्जन के विभाजन के विरुद्ध यह गीत भक्ति को क्रांति का आधार बना, जहां स्वदेशी आंदोलन ने इसे आध्यात्मिक संकल्प घोषित किया।
लाला लाजपत राय ने इसे 'भारत की आत्मा का उद्घोष' कहा, जबकि मातंगिनी हाजरा ने तूतीकोड़ी जेल जाते हुए इसे गाया। असहयोग आंदोलन (1920-22) में गांधीजी ने प्रथम दो पदों को स्वीकृति दी, इसे 'अखंड भारत का प्रतीक' मानते हुए। श्री अरविंदो की 'पांडिचेरी मंत्र' में वन्दे मातरम को 'दिव्य शक्ति का आह्वान' कहा गया, जो पाश्चात्य भौतिकवाद के विरुद्ध सनातन धर्म की विजय सुनिश्चित करता है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने इसे सैन्य मार्च बनाया, जहां 'चमकते हे अखि त्रय नयन वाली' दुर्गा को युद्ध की प्रेरणा माना। ब्रिटिश प्रतिबंधों (1909 हुदुद फतवा सहित) के बावजूद यह गीत भूमिगत साहित्य और प्रभात फेरियों का केंद्र रहा।
विवेकानंद के शिकागो भाषण (1893) से प्रारंभिक प्रभाव स्पष्ट है, जहां उन्होंने भारत को 'आध्यात्मिक गुरु' घोषित किया।आध्यात्मिक दर्शन का विश्लेषणवन्दे मातरम के छह पद आध्यात्मिक यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं: प्रथम पद प्रकृति-आराधना, द्वितीय लक्ष्मी-स्वरूप, तृतीय दुर्गा-शक्ति, चतुर्थ ज्ञान-दायिनी सरस्वती, पंचम युगांतरकारी शक्ति, षष्ठम विजय-घोष। 'अबला केन मा एत बले, बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं' पंक्ति शक्ति-उपासना का सार है, जो तंत्रमार्ग की काली-तारा साधना से जुड़ती है।
यह गीत तंत्र-वेदांत संश्लेषण है, जहां मातृभूमि को शक्ति-पीठ मानकर कुंडलिनी जागरण का प्रतीक बनाया गया।स्वामी विवेकानंद ने कहा, "भारत की आध्यात्मिकता विश्व को मुक्ति देगी," और वन्दे मातरम इसी का संगीत रूप है। रामकृष्ण परमहंस की मातृभक्ति से प्रेरित बंकिम ने इसे 'भारतमाता मंदिर' का भजन बनाया। उपनिषदों के ब्रह्मविद्या से यह राष्ट्र को परमात्मा का अंश मानता है।
150वीं वर्षगांठ और समकालीन प्रासंगिकता2025 में पूर्ण होने वाली 150वीं वर्षगांठ पर पीआईबी और आरएसएस ने राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया, जहां राष्ट्रपति ने इसे 'आत्मगौरव का मंत्र' कहा। आत्मनिर्भर भारत, डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों में यह आध्यात्मिक प्रेरणा बन गया, जो कोविड संकट के बाद सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है। वैश्विक पटल पर यूएन और जी-20 में इसका गायन भारत की सॉफ्ट पावर मजबूत करता है। नई पीढ़ी के लिए वन्दे मातरम सोशल मीडिया पर #VandeMataram150 ट्रेंड बना, जो योग दिवस और गणतंत्र दिवस पर आध्यात्मिक एकता का संदेश देता है। पर्यावरण संरक्षण में 'सुजलां सुफलां' को जल-जंगल-जमीन अभियान से जोड़ा गया। राजनीतिक तुष्टिकरण के विरुद्ध यह हिंदुत्व की सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है।
वैश्विक संदर्भ में भारत की आध्यात्मिक सत्ताभारत की आध्यात्मिकता योग, आयुर्वेद, वेदांत के माध्यम से विश्व को प्रभावित करती है, और वन्दे मातरम इसका राष्ट्रियकरण है। अमेरिका के थoreau और Emerson वेदांत से प्रभावित हुए, जबकि गांधी की अहिंसा ने मार्टिन लूथर किंग को प्रेरित किया। आज ट्रंप प्रशासन के 'हिंदू-अमेरिकी' उत्सवों में यह गाया जाता है। भविष्य में यह 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की आध्यात्मिक कूटनीति का आधार बनेगा।वन्दे मातरम केवल गीत नहीं, भारत की अमर चेतना है, जो आध्यात्मिक सत्ता को राष्ट्र-रूप प्रदान करता है। यह सनातन ऊर्जा का प्रवाह है, जो युगों तक गूंजेगा।
वन्देमातरम 🙏🙏
ऐतिहासिक परिवेश से परिचित कराने का अभिनव प्रयोग
जवाब देंहटाएंअति उत्तम व्याख्या की गई है वन्देमातरम की ।जय हो ।
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