सहकारिता: भारत सहित विश्व अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत – भारत@2047 की ओर ईमानदारी से पूरा देश अपनाएगा, जेपीएस राठौर
सहकारिता की अवधारणा मानव सभ्यता के इतिहास में एक अनूठा अध्याय है, जो सामूहिक प्रयासों से व्यक्तिगत सशक्तिकरण की कहानी बुनती है। विश्व अर्थव्यवस्था में सहकारिताएं न केवल आर्थिक स्थिरता का आधार हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और सतत विकास की कुंजी भी। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व में 30 लाख से अधिक सहकारी संस्थाएं कार्यरत हैं, जो 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार को संचालित करती हैं और 10 प्रतिशत रोजगार प्रदान करती हैं। भारत में सहकारिता का सफर स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है, जहां गांधीजी ने इसे ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताया था। आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सहकारिता को 'सहकार से समृद्धि' का मंत्र देकर विकसित भारत@2047 के सपने से जोड़ा जा रहा है। ईमानदारी से अपनाई गई सहकारिता ही वह शक्ति है जो पूरे देश को एकजुट करेगी। इस निबंध में हम मोदी, अमित शाह, योगी आदित्यनाथ और जेपीएस राठौर जैसे नेताओं की भूमिका को जोड़ते हुए, सहकारिता की ताकत को सर्वग्राही बनाने का प्रयास है.
सहकारिता का वैश्विक और भारतीय महत्व
सहकारिता विश्व अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत इसलिए है क्योंकि यह पूंजीवाद और समाजवाद के बीच संतुलन स्थापित करती है। अंतरराष्ट्रीय सहकारी संघ (ICA) के आंकड़ों के अनुसार, सहकारी संस्थाएं यूरोप से एशिया तक, दूध उत्पादन से बैंकिंग तक हर क्षेत्र में सक्रिय हैं। स्पेन की मोनड्रागन कोऑपरेटिव दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी कंपनी है, जो 8 करोड़ यूरो का कारोबार करती है। भारत में अमूल और आईएफसीओ जैसी संस्थाएं वैश्विक स्तर पर शीर्ष सहकारिताओं में शामिल हैं। अमित शाह ने हाल ही में इन्हें बधाई देते हुए कहा कि ये भारत की सहकारिता की सफलता की मिसाल हैं।
भारत में सहकारिता का आधार 1904 के सहकारी सोसाइटिज एक्ट से पड़ा, लेकिन आजादी के बाद 1950 के एक्ट ने इसे मजबूती दी। वर्तमान में 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं, जो 25 करोड़ लोगों को जोड़ती हैं। ये दूध, अनाज, उर्वरक और वित्तीय सेवाओं में महत्वपूर्ण हैं। लेकिन चुनौतियां भी हैं – भ्रष्टाचार, प्रबंधकीय कमजोरी और डिजिटल पिछड़ापन। इन्हीं को दूर करने के लिए मोदी सरकार ने 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की, जो अमित शाह के नेतृत्व में नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
मोदी का विजन: सहकारिता से विकसित भारत@2047
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहकारिता को 'अमृत काल' का आधार मानते हैं। उनका 'सहकार से समृद्धि' विजन विकसित भारत@2047 को साकार करने का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। 2025 में जारी नई सहकारिता नीति एक मील का पत्थर है, जो प्रौद्योगिकी एकीकरण, महिलाओं की भागीदारी और ग्रामीण सशक्तिकरण पर जोर देती है। मोदी ने कहा है, "सहकारिता ग्रामीण भारत को मजबूत करते हुए विकसित भारत@2047 के सपने को साकार करेगी।" यह नीति 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित कर वैश्विक मंच पर भारत को मजबूत कर रही है।
मोदी के नेतृत्व में 'एक जिला-एक उत्पाद' (ODOP) योजना सहकारिता से जुड़ी हुई है, जहां स्थानीय उत्पादकों को संगठित किया जा रहा है। गुजरात मॉडल, जहां अमूल ने लाखों किसानों को समृद्ध किया, अब राष्ट्रीय स्तर पर फैल रहा है। ईमानदारी का पहलू मोदी के 'सतत विकास' में निहित है – जहां पारदर्शिता और जवाबदेही सहकारिता की सफलता की गारंटी है। 2047 तक भारत की GDP को 30 ट्रिलियन डॉलर बनाने के लक्ष्य में सहकारिता 20 प्रतिशत योगदान देगी, यदि पूरा देश ईमानदारी से अपनाए। मोदी की यह दृष्टि अमित शाह की नीतियों से जुड़ती है, जो कार्यान्वयन का इंजन हैं।
अमित शाह: सहकारिता मंत्रालय का मजबूत स्तंभ
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह सहकारिता को 'लोकतांत्रिक आर्थिक क्रांति' बता रहे हैं। उनके नेतृत्व में 2025 का 'सहकारिता कुंभ' – 10-11 नवंबर को विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित – प्रौद्योगिकी से समावेशी विकास पर केंद्रित है। शाह ने कहा, "हर शहर में एक सहकारी बैंक स्थापित करने का लक्ष्य 5 वर्षों में पूरा होगा।" यह डिजिटल ऐप्स के लॉन्च से जुड़ा है, जो शहरी सहकारी ऋण क्षेत्र को मजबूत करेगा।
शाह की नई सहकारिता नीति 2025 मोदी के विजन को साकार करती है। इसमें युवा सहकारिताओं, डिजिटल प्लेटफॉर्म और बहु-राज्य सहकारिताओं पर जोर है। उन्होंने अमूल और आईएफसीओ को विश्व की शीर्ष सहकारिताओं में स्थान दिलाने का श्रेय दिया। ईमानदारी के संदर्भ में, शाह भ्रष्टाचार मुक्त सहकारिता पर जोर देते हैं – 'प्रोफेशनल मैनेजमेंट' के माध्यम से। यह नीति उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में योगी और जेपीएस राठौर के प्रयासों से जुड़ती है, जहां ग्रामीण सहकारिता को बढ़ावा मिल रहा है।
योगी आदित्यनाथ: उत्तर प्रदेश में सहकारिता का नया युग
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे बड़ा राज्य, सहकारिता के क्षेत्र में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में क्रांति का साक्षी है। 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में शुभारंभ करते हुए योगी ने कहा, "प्रयागराज महाकुंभ सहकारिता का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां करोड़ों लोग सामूहिक रूप से संगम में स्नान करते हैं।" उन्होंने हर ग्राम पंचायत में वेयरहाउस निर्माण का ऐलान किया, जो किसानों को भंडारण सुविधा देगा।
योगी ने राज्य सहकारी महाविद्यालय की स्थापना के निर्देश दिए, जो सहकारिता में अध्ययन-शिक्षा को बढ़ावा देगाf.जिलों में एम-पैक्स अभियान से किसानों को राहत मिलेगी। योगी का 'माफिया मुक्त' उत्तर प्रदेश सहकारिता को भ्रष्टाचार से मुक्त करने का प्रयास है। अमित शाह से उनकी हालिया मुलाकात सहकारिता को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का संकेत है। ईमानदारी से अपनाई गई यह मॉडल पूरे देश के लिए प्रेरणा है, जहां योगी की 'सबका साथ, सबका विकास' नीति सहकारिता से जुड़ती है।
जेपीएस राठौर: उत्तर प्रदेश सहकारिता के प्रखर योद्धा
उत्तर प्रदेश के सहकारिता राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर सहकारिता को जमीनी स्तर पर मजबूत करने वाले प्रमुख नेता हैं। भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके राठौर ने 2022 में मंत्री पद संभालते हुए सहकारिता विभाग को प्रथम स्थान दिलाया।हाल ही में बरेली में उन्होंने कहा, "अतीक-मुख्तार जैसे माफिया न होते तो सपा उन्हें स्टार कैंपेनर बनाती।" यह बयान योगी के माफिया-रोधी अभियान से जुड़ा है, जो सहकारिता को सुरक्षित बनाता है।
राठौर ने हरदोई स्वदेशी मेले का शुभारंभ किया, जहां उन्होंने कहा, "2017 से पहले यूपी बीमारू था, आज योगी सरकार ने इसे निवेश का केंद्र बनाया। सहकारी सप्ताह में सदस्यता महाअभियान की समीक्षा कर दिशानिर्देश दिए। राठौर का योगदान 'सहकारिता कुंभ 2025' में भी दिखा, जहां उन्होंने प्रौद्योगिकी से सशक्तिकरण पर जोर दिया। मोदी-शाह-योगी की तिकड़ी में राठौर जमीनी कार्यान्वयनकर्ता हैं, जो ईमानदारी से सहकारिता को अपनाने का संदेश देते हैं।
उच्च न्यायालय: हिंदी सहकारिता सत्ता का मजबूत आधार
उच्च न्यायालय सहकारिता की सत्ता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, विशेषकर हिंदी भाषी क्षेत्रों में। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सहकारी समितियों में भ्रष्टाचार की जांच पूरी करने का आदेश दिया, कहते हुए कि "यह सरकार की जिम्मेदारी है।लखनऊ बेंच ने सहकारी आवास समितियों में भ्रष्टाचार को 'गहरी बीमारी' बताया और सरकार से कार्रवाई की मांग की।
कर्नाटक उच्च न्यायालय का फैसला, जहां गारंटर को कर्ज से मुक्त न करने का आदेश दिया गया, सहकारिता की ईमानदारी को मजबूत करता है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने प्रशासकों को राहत देते हुए चुनाव कराने का निर्देश दिया। हिंदी सहकारिता सत्ता का अर्थ यहां न्यायिक हस्तक्षेप से सहकारिता को पारदर्शी बनाना है, जो उत्तर प्रदेश जैसे हिंदी बेल्ट में विशेष रूप से प्रासंगिक है। ये फैसले मोदी सरकार की नीतियों को समर्थन देते हैं, जहां उच्च न्यायालय सहकारिता को 'सत्ता' – अर्थात शक्ति – प्रदान कर रहे हैं।
ईमानदारी से अपनाना: पूरा देश का संकल्प
ईमानदारी सहकारिता की आत्मा है। भ्रष्टाचार ने कई समितियों को कमजोर किया, लेकिन मोदी-शाह की नीतियां डिजिटल ट्रांसपेरेंसी से इसे दूर कर रही हैं। योगी और राठौर के प्रयासों से यूपी में 10 लाख नई सदस्यताएं जुड़ीं। 2047 तक, यदि पूरा देश अपनाए, तो सहकारिता GDP में 15-20 प्रतिशत योगदान देगी। चुनौतियां – जैसे डिजिटल साक्षरता और महिला भागीदारी – को दूर करने के लिए राष्ट्रीय अभियान जरूरी हैं। उच्च न्यायालय के फैसले इसकी गारंटी हैं।
सहकारिता विश्व और भारत की अर्थव्यवस्था की ताकत है, जो भारत@2047 को विकसित बनाएगी। मोदी का विजन, शाह की नीतियां, योगी का कार्यान्वयन, राठौर की जमीनी मेहनत और उच्च न्यायालय की सत्ता – ये सभी ईमानदारी से जुड़कर पूरे देश को सहकारिता अपनाने को प्रेरित करेंगे। यह सामूहिक शक्ति ही 'विकसित भारत' का आधार बनेगी।
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