रविवार, 5 अक्टूबर 2025

कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दरिंदगी का अड्डा! बच्चियों ने डीएम से खोला प्रिंसिपल-वार्डन का गंदा खेल मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ

 

कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय में दरिंदगी का अड्डा! बच्चियों ने डीएम से खोला प्रिंसिपल-वार्डन का गंदा खेल
मनोज श्रीवास्तव / लखनऊ


राजधानी लखनऊ में बेटियों की सुरक्षा को लेकर चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मोहनलालगंज तहसील परिसर में शनिवार को संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की मासूम बच्चियों ने डीएम विशाख जी. के सामने अपने ऊपर हो रहे अत्याचार का राजफाश कर दिया।

बच्चियों की थरथराती आवाज़ ने प्रशासन के पैरों तले जमीन खिसका दी। उन्होंने बताया कि विद्यालय की प्रिंसिपल और वार्डन रात में अजनबी पुरुषों को स्कूल परिसर में बुलाती हैं। कई बार 5-6 गाड़ियां रात में आती हैं। जो बच्ची गलती से भी उधर देख लेती है, उसे गालियां, धमकियां और बेरहमी से पिटाई मिलती है।

बच्चियों ने कहा — “मैडम कहती हैं, अगर किसी को बताया तो मारकर कहीं फेंक देंगे, कोई पता भी नहीं लगाएगा।”
इतना ही नहीं, विद्यालय में बच्चियों से झाड़ू-पोंछा, बाथरूम की सफाई और रसोई का काम भी करवाया जाता है। खाने की गुणवत्ता इतनी खराब है कि कई बच्चियों ने स्कूल छोड़ने की बात डीएम के सामने कह दी।

जैसे ही डीएम के संज्ञान में मामला आया, उन्होंने तुरंत जांच के निर्देश दिए। जिला समाज कल्याण अधिकारी और बाल विकास विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया है।

इस पूरे मामले पर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने ‘दोका सामना’ से बात करते हुए कहा —

“बेटियों को डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं खुद पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवा रहा हूँ। दोषियों को ऐसी सजा मिलेगी जो मिशाल बन जाएगी।”

अब सवाल उठता है कि राजधानी में चल रहे इस विद्यालय में इतने दिनों तक यह गंदा खेल चलता रहा और किसी अधिकारी को खबर क्यों नहीं लगी?
कस्तूरबा गांधी जैसी राष्ट्रमाता के नाम पर चल रहे इस विद्यालय में अगर बच्चियों की इज़्जत ही सुरक्षित नहीं है, तो यह पूरे तंत्र पर कलंक है।

प्रशासन की जिम्मेदारी है कि केवल जांच नहीं, बल्कि दोषियों पर त्वरित कार्रवाई हो — ताकि किसी और बच्ची को अगली बार अपनी अस्मिता बचाने के लिए डीएम के दरबार में न आना पड़े।

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