लौह पुरुष सरदार पटेल की आज की प्रासंगिकता: देशीय ज्वलंत समस्याओं के समाधान.
सरदार पटेल का योगदान और 'लौह पुरुष' की उपाधि
सरदार वल्लभभाई पटेल (1875-1950), जिन्हें 'लौह पुरुष' कहा जाता है, स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में आधुनिक भारत के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने 562 रियासतों का एकीकरण कर भारत को विखंडित होने से बचाया, जो आज भी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उनकी दृढ़ता, कूटनीतिक कौशल और व्यावहारिक दृष्टिकोण ने उन्हें 'भारतीय सिविल सेवकों के संरक्षक संत' की उपाधि दिलाई, क्योंकि उन्होंने ऑल इंडिया सर्विसेज की स्थापना की, जो प्रशासनिक ढांचे की 'इस्पात की रीढ़' बनी।
सरदार वल्लभभाई पटेल (1875-1950), जिन्हें 'लौह पुरुष' कहा जाता है, स्वतंत्र भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में आधुनिक भारत के निर्माण में केंद्रीय भूमिका निभाई। उन्होंने 562 रियासतों का एकीकरण कर भारत को विखंडित होने से बचाया, जो आज भी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। उनकी दृढ़ता, कूटनीतिक कौशल और व्यावहारिक दृष्टिकोण ने उन्हें 'भारतीय सिविल सेवकों के संरक्षक संत' की उपाधि दिलाई, क्योंकि उन्होंने ऑल इंडिया सर्विसेज की स्थापना की, जो प्रशासनिक ढांचे की 'इस्पात की रीढ़' बनी।
आज, 26 अक्टूबर 2025 को, जब भारत वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रहा है, पटेल का दर्शन—राष्ट्रीय हित सर्वोपरि, विविधता में एकता, और मजबूत केंद्र—देशीय ज्वलंत समस्याओं जैसे संघीय तनाव, अलगाववाद, सीमा सुरक्षा और आर्थिक असमानता के समाधान में अत्यंत प्रासंगिक है। यह विश्लेषण हालिया शोध पत्रों, भाषणों और ऐतिहासिक दस्तावेजों पर आधारित है।
सरदार पटेल की प्रमुख उपलब्धियाँ: एकीकरण और प्रशासनिक नींव
पटेल का सबसे बड़ा योगदान स्वतंत्रता के बाद रियासतों का एकीकरण था। 15 अगस्त 1947 तक, ज्यादातर रियासतों ने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' पर हस्ताक्षर किए, लेकिन जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर जैसे मामलों में उन्होंने कूटनीति, आर्थिक दबाव और आवश्यकता पड़ने पर सैन्य कार्रवाई (जैसे ऑपरेशन पोलो, 1948) का सहारा लिया। उन्होंने कहा था, "मैं भारतीय रियासतों के शासकों से कहना चाहता हूं... भविष्य की पीढ़ियां हमें शाप न दें कि हमारे पास अवसर था लेकिन हमने इसका लाभ नहीं उठाया।"1 इससे भारत का संविधान (अनुच्छेद 1: 'भारत एक राज्य संघ है') तैयार हुआ।
प्रशासनिक सुधारों में, पटेल ने ब्रिटिश आईसीएस को आईएएस में बदल दिया, जो आज भी राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करता है।उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टि में आंतरिक स्थिरता और सैन्य मजबूती पर जोर था, जो विभाजन के बाद सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध हुई। हालिया शोध (2025) में इन्हें 'राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद के योगदानकर्ता' कहा गया है, जहां उन्होंने एकजुट भारत को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
सरदार पटेल की प्रमुख उपलब्धियाँ: एकीकरण और प्रशासनिक नींव
पटेल का सबसे बड़ा योगदान स्वतंत्रता के बाद रियासतों का एकीकरण था। 15 अगस्त 1947 तक, ज्यादातर रियासतों ने 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन' पर हस्ताक्षर किए, लेकिन जूनागढ़, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर जैसे मामलों में उन्होंने कूटनीति, आर्थिक दबाव और आवश्यकता पड़ने पर सैन्य कार्रवाई (जैसे ऑपरेशन पोलो, 1948) का सहारा लिया। उन्होंने कहा था, "मैं भारतीय रियासतों के शासकों से कहना चाहता हूं... भविष्य की पीढ़ियां हमें शाप न दें कि हमारे पास अवसर था लेकिन हमने इसका लाभ नहीं उठाया।"1 इससे भारत का संविधान (अनुच्छेद 1: 'भारत एक राज्य संघ है') तैयार हुआ।
प्रशासनिक सुधारों में, पटेल ने ब्रिटिश आईसीएस को आईएएस में बदल दिया, जो आज भी राष्ट्रीय एकता सुनिश्चित करता है।उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा दृष्टि में आंतरिक स्थिरता और सैन्य मजबूती पर जोर था, जो विभाजन के बाद सांप्रदायिक हिंसा को नियंत्रित करने में सहायक सिद्ध हुई। हालिया शोध (2025) में इन्हें 'राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद के योगदानकर्ता' कहा गया है, जहां उन्होंने एकजुट भारत को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
आज की प्रासंगिकता: पटेल का दर्शन समकालीन भारत में
पटेल का यथार्थवादी दृष्टिकोण—'भारत पहले'—आज के बहुध्रुवीय विश्व में विदेश नीति और आंतरिक शासन के लिए प्रासंगिक है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 5 अक्टूबर 2024 को सरदार पटेल स्मृति व्याख्यान में कहा कि पटेल की एकीकृत निर्णय-प्रक्रिया (गृह, रक्षा, विदेश मामलों का समन्वय) आज के चुनौतियों जैसे सीमा विवादों में उपयोगी है।उन्होंने चीन पर पटेल की चेतावनी (1950: "चीन हमें मित्र नहीं मानता") को 1962 युद्ध और वर्तमान गतिरोध से जोड़ा, जो आज एलएसी पर शांति के लिए 'सम्मान, संवेदनशीलता और हितों' पर आधारित नीतियों में दिखता है।
राष्ट्रीय एकीकरण में, पटेल की 'विविधता में एकता' दृष्टि 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' अभियान में प्रतिबिंबित होती है, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान से क्षेत्रीय विभेद कम करती है। 2025 के एक शोध पत्र में कहा गया कि पटेल का मजबूत केंद्र वाला सहकारी संघवाद जीएसटी जैसे सुधारों में उपयोगी है, जो राज्यों की आकांक्षाओं को संतुलित करता है।
देशीय ज्वलंत समस्याओं का समाधान: पटेल के सिद्धांतों से व्यावहारिक उपाय
भारत की प्रमुख समस्याएं—संघीय तनाव, अलगाववाद, सीमा सुरक्षा और आर्थिक असमानता—पटेल के दर्शन से हल की जा सकती हैं। संघीय तनाव (राज्य-केंद्र संबंध): वर्तमान में तेलंगाना या महाराष्ट्र जैसे राज्यों में संसाधन वितरण पर विवाद हैं। पटेल का सहकारी संघवाद मॉडल—मजबूत केंद्र के साथ राज्यों की स्वायत्तता—समाधान है। 1956 के राज्य पुनर्गठन अधिनियम की तरह, भाषाई/क्षेत्रीय आधार पर विकास को बढ़ावा देकर असमानता कम की जा सकती है। जयशंकर ने कहा कि पटेल की संस्थागत निरंतरता (नौकरशाही-राजनीति का पुल) वोट बैंक राजनीति से बचाती है।समाधान: जीएसटी काउंसिल जैसी संयुक्त समितियों को मजबूत करना, पटेल की 'साझेदारी' दृष्टि से
अलगाववाद और राष्ट्रीय एकीकरण (कश्मीर, पूर्वोत्तर): कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाना (2019) पटेल को समर्पित था, जो उनकी एकीकरण रणनीति (कूटनीति+दृढ़ता) का विस्तार है. पूर्वोत्तर में अलगाववाद के लिए पटेल का 'जन भागीदारी' मॉडल (प्रजा मंडल जैसे) लागू हो: सांस्कृतिक एकीकरण और विकास परियोजनाओं से। 2025 शोध में सुझाव: विविधता को ताकत मानकर 'विकसित भारत 2047' लक्ष्य हासिल करना।
राष्ट्रीय सुरक्षा (सीमा विवाद, आंतरिक खतरे): चीन-पाकिस्तान सीमाओं पर पटेल की यथार्थवादी नीति (द्वि-मुखी रक्षा) आज क्वाड और बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर में दिखती है।2f37c4 आंतरिक सुरक्षा के लिए उनकी 'इस्पात फ्रेम' नौकरशाही आतंकवाद-रोधी अभियानों को मजबूत करेगी। समाधान: पटेल की तरह 'सभी उपकरणों का उपयोग'—कूटनीति, आर्थिक दबाव और सैन्य तैयारी।
आर्थिक असमानता और सामाजिक एकता: पटेल उद्यमिता और स्वावलंबन के समर्थक थे, जो 'आत्मनिर्भर भारत' से मेल खाते हैं।d61546 सांप्रदायिक तनाव के लिए उनकी धर्मनिरपेक्ष दृष्टि (सभी समुदायों का निष्पक्ष व्यवहार) लागू हो: अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा से एकता बढ़ेगी।
पटेल का चिरस्थायी विरासत
सरदार पटेल का दर्शन आज भारत को विखंडन से बचाने और 'विकसित भारत' बनाने में मार्गदर्शक है। जैसा कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा, "आज भारत का अस्तित्व पटेल की कूटनीति और दृढ़ प्रशासन का परिणाम है।" हालिया अध्ययनों (2024-2025) से स्पष्ट है कि उनकी व्यावहारिकता ज्वलंत समस्याओं का समाधान प्रदान करती है, बशर्ते हम उनकी 'राष्ट्रीय हित सर्वोपरि' भावना अपनाएं। राष्ट्रीय एकता दिवस (31 अक्टूबर) पर, हमें पटेल के सिद्धांतों को पुनर्जीवित कर एक मजबूत, एकजुट भारत का निर्माण करना चाहिए। आज केंद्रीय सरकार नरेंद्र मोदी जी के अगुवाई में लोह पुरुष की अशेष स्मृतियों को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने का कार्य कर रही है, जो प्रशंसनीय है.
त्र्यंबक त्रिपाठी
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