मंगलवार, 21 अक्टूबर 2025

श्री कृष्ण कहाँ हो, आज का गोबर्धन कौन उठाएगा?



अन्नकूट और गोवर्धन पूजा का पर्व हिंदू संस्कृति के सबसे पवित्र और पर्यावरणीय रूप से सार्थक उत्सवों में से एक है। यह दिवाली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है, और वर्ष 2025 में यह पर्व 22 अक्टूबर, बुधवार के दिन मनाया जाएगा ।अन्नकूट और गोवर्धन का पौराणिक आधार द्वापर युग में जब ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा करते थे, तब श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि वर्षा का वास्तविक श्रेय गोवर्धन पर्वत को जाता है, जो धरती की उर्वरता और जीवन के पोषण का प्रतीक है। उन्होंने इंद्र-पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा प्रारंभ की ।

इंद्रदेव को यह अपमानजनक लगा और उन्होंने ब्रज भूमि पर घोर वर्षा कर दी। तब कृष्ण ने अपनी कनिष्ठिका अंगुली पर सात दिन तक गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों और गौधन की रक्षा की । यह घटना अहंकार पर विनम्रता की विजय तथा मनुष्य-प्रकृति के सह-अस्तित्व का संदेश देती है।अन्नकूट का अर्थ और परंपरा‘अन्न’ का अर्थ है अन्न-धान्य और ‘कूट’ का अर्थ है ढेर; इस तरह ‘अन्नकूट’ का अर्थ होता है अन्न का पर्वत । इस दिन भक्तजन सैकड़ों प्रकार के व्यंजन—छप्पन भोग—बनाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करते हैं। भोजन में चावल, गेहूं, दालें, सब्जियां, मिठाइयाँ और खीर शामिल होती हैं ।

यह अर्पण सिर्फ श्रद्धा नहीं बल्कि प्रकृति प्रदत्त समृद्धि के प्रति कृतज्ञता का प्रतीक है। गोवर्धन की पूजा मिट्टी या गाय के गोबर से बने प्रतीक के रूप में की जाती है, जिसे फूलों से सजाया जाता है और दीपक, दूध-दही

शहद से अभिषेक किया जाता है ।गोवर्धन पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व गोवर्धन पूजा सिर्फ एक पौराणिक घटना की स्मृति नहीं बल्कि पर्यावरणीय और सामाजिक संतुलन की प्रेरणा है। यह पर्व कृषि और पशुधन की उपयोगिता को दर्शाता है, क्योंकि गौधन और अन्न उत्पादन दोनों ही जीवन के मूल स्तंभ हैं ।

गाय को इस दिन विशेष रूप से पूजनीय माना जाता है, क्योंकि शास्त्रों में उसे देवी लक्ष्मी के समान धन और समृद्धि का स्रोत बताया गया है । इसलिए गोवर्धन पूजा ‘गोधन पूजा’ के रूप में भी प्रसिद्ध है।आध्यात्मिक और सामाजिक संदेशअन्नकूट का पर्व सामूहिकता, सहयोग और संतुलित जीवनशैली का संदेश देता है। ग्रामीण समाज में यह त्योहार एकता, साझेदारी और परस्पर प्रेम को बढ़ावा देता है। हर घर से पकवान लाकर सामूहिक रूप से गोवर्धन के सामने अर्पण किए जाते हैं, जो समर्पण और मिलन का प्रतीक है ।

यह पर्व यह भी सिखाता है कि मनुष्य को प्रकृति और देवत्व दोनों की कृतज्ञता व्यक्त करनी चाहिए, क्योंकि दोनों जीवन के लिए समान रूप से आवश्यक हैं।गोवर्धन पूजा 2025 का मुहूर्त पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पूजा का उत्तम समय प्रातः 06:26 से 08:42 बजे तक और दूसरा मुहूर्त दोपहर 03:29 से सायं 05:44 बजे तक रहेगा । इस दिन तुला राशि में सूर्य, चंद्र और बुध की युति से बुधादित्य और त्रिग्रही योग बन रहे हैं, जिससे यह दिन धार्मिक रूप से अत्यंत शुभ बन रहा है ।वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वअन्नकूट पर्व शरीर और पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी है। यह मौसम परिवर्तन का समय है जब शरीर को ऊर्जा और पोषण की आवश्यकता होती है। अन्नकूट में विविध अनाज, दालें और शाकाहारी भोजन मनुष्य को पौष्टिकता प्रदान करते हैं। यह पर्व कृषि-आधारित जीवनशैली का उत्सव है, जो मनुष्य को प्रकृति के चक्र से जोड़े रखता है ।निष्कर्ष,गोवर्धन पूजा और अन्नकूट सनातन संस्कृति में भक्ति, कृतज्ञता और पारिस्थितिक संतुलन के प्रतीक हैं। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन की वास्तविक पूजा प्रकृति, अन्न और गौधन के संरक्षण में है। श्रीकृष्ण की यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतिनिधित्व करती है, बल्कि आधुनिक विश्व को भी यह संदेश देती है कि प्रकृति के प्रति विनम्रता और आभार मानवता की सर्वोच्च भावना है। 

आज गोवर्धन एक सामजिक छुअछूत के रूप में अमिशाप बन चुका है आओ श्री कृष्णा इस अभिशाप क़ो मुक्त कर भारत और भारती का मन विश्व गुरु के स्थान पर पुनः प्रतिष्ठित करो. 🙏🙏

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