सोमवार, 3 नवंबर 2025

लोकतंत्र के महापर्व की नई पहल: “जनमत पर चर्चा” से युवाओं ने जगाई लोकतांत्रिक चेतना

 लोकतंत्र के महापर्व की नई पहल: “जनमत पर चर्चा” से युवाओं ने जगाई लोकतांत्रिक चेतना



चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (उत्तर प्रदेश कैंपस) में हुआ भव्य आयोजन — “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर हुई गूंजदार बहस

लखनऊ, 3 नवम्बर 2025:, मनोज श्रीवास्तव
देश में जब पूरा राजनीतिक परिदृश्य लोकतांत्रिक विमर्श के नए दौर में प्रवेश कर रहा है, उसी समय चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी (उत्तर प्रदेश कैंपस) द्वारा आयोजित “जनमत पर चर्चा” कार्यक्रम ने लोकतंत्र के इस महापर्व को नई ऊँचाई दी। कार्यक्रम का केंद्रीय विषय था — “एक राष्ट्र, एक चुनाव”, जिस पर विद्यार्थियों, शोधार्थियों और आमंत्रित विशेषज्ञों ने न केवल बहस की बल्कि भारतीय लोकतंत्र के भविष्य पर गहरी अंतर्दृष्टि भी साझा की।कार्यक्रम का उद्घाटन भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री एवं विधायक श्री अनूप गुप्ता ने किया। उन्होंने अपने प्रेरक संबोधन में कहा —

“लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति उसके युवाओं में निहित है। जब विद्यार्थी अपने विचारों को जनमत के माध्यम से रखते हैं, तभी राष्ट्र की दिशा तय होती है। विचारवान युवा ही जनतंत्र के जीवंत आधार हैं।

 

लोकतांत्रिक संवाद का उत्सव बना विश्वविद्यालय परिसर“,जनमत पर चर्चा” केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संवाद का एक जीवंत उत्सव बन गया। परिसर के सभागार में विद्यार्थियों की भारी भीड़ रही। विचारों की विविधता, तर्कों की गूंज और शालीन असहमति की संस्कृति ने इसे एक वास्तविक लोकतांत्रिक अनुभव बना दिया।आयोजन के प्रमुख श्री वशिष्ठ श्रीवास्तव ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को न केवल राजनीतिक मुद्दों से जोड़ना है, बल्कि यह समझाना भी है कि एक जागरूक मतदाता और जिम्मेदार नागरिक के रूप में उनकी भूमिका कितनी निर्णायक है।

“युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता बनना चाहिए। ‘जनमत पर चर्चा’ उसी दिशा में उठाया गया कदम है।”

 

“एक राष्ट्र, एक चुनाव” — विचार विमर्श की नई दिशा कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा वाद–विवाद प्रतियोगिता। “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर वक्ताओं ने अपने–अपने तर्कों को तथ्य, उदाहरण और आँकड़ों के साथ प्रस्तुत किया।कई वक्ताओं ने कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव देश के संसाधनों पर भारी बोझ डालते हैं, जबकि कुछ ने इसे संघीय ढांचे के लिए चुनौती बताया।

इस बहस ने न केवल राजनीतिक व्यवस्था की जटिलताओं को सामने लाया, बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि भारतीय युवा अब केवल दर्शक नहीं, विचार प्रक्रिया का सक्रिय हिस्सा बनना चाहता है।

प्रतियोगिता में विजेताओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए और निर्णायक मंडल ने विद्यार्थियों के शोधपरक दृष्टिकोण की सराहना की।लोकतंत्र के महोत्सव का नया डिजिटल रूप“,लोकतंत्र का महापर्व” नाम से चल रहे इस अभियान ने युवाओं के बीच एक नई ऊर्जा भर दी है।इसका डिज़ाइन विश्वविद्यालय के “सोशल रिसर्च क्लब” ने तैयार किया, जिसके तहत अनेक गतिविधियाँ जैसे जनमत सर्वेक्षण, मतदाता जागरूकता रैली, जनसंवाद, ऑनलाइन पोलिंग एक्सरसाइज़ और संविधान क्विज़ शामिल की गईं।

आयोजकों ने बताया कि इस पूरे उपक्रम का उद्देश्य युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से तकनीकी रूप से जोड़ना है।

“आज के डिजिटल युग में लोकतंत्र केवल मतदान तक सीमित नहीं रह सकता। सोशल मीडिया, जनमत प्लेटफ़ॉर्म और ऑनलाइन सहभागिता नागरिकता के नए रूप हैं,”
वासुदेव वत्सल ने कहा।


 

लौकतंत्र के प्रति युवाओं की संवेदनशीलता उभरकर आई

इस आयोजन में शामिल प्रतिभागियों में से कई ऐसे थे जिन्होंने पहली बार सार्वजनिक मंच से अपने विचार रखे।
एक छात्रा ने कहा —

“हमारे लिए यह कार्यक्रम केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि आत्म-अभिव्यक्ति का माध्यम था। हमने सीखा कि असहमति भी लोकतंत्र का सम्मानजनक हिस्सा होती है।”

दूसरे छात्र ने कहा —

“जब हमें यह अवसर मिला कि हम राष्ट्रीय नीति पर बोलें, तो यह एहसास हुआ कि युवा केवल सुनने के लिए नहीं, बोलने के लिए भी तैयार हैं।”

इस संवाद की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें राजनीतिक पूर्वाग्रहों की जगह तर्क, तथ्य और नीतिगत दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी गई।

उत्तर प्रदेश में “जनमत पर चर्चा” का विस्ता,रयह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश में इस तरह का पहला आयोजन बताया जा रहा है, जहाँ विद्यार्थियों को “एक राष्ट्र, एक चुनाव” जैसे राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे पर खुलकर विचार रखने का मंच मिला।आयोजकों ने घोषणा की कि आने वाले महीनों में यह अभियान प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी विस्तार किया जाएगा — लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ और झांसी में इसी मॉडल पर “जनमत पर चर्चा” के कैंपस संस्करण आयोजित होंगे।इन आयोजनों में युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की जमीनी समझ देने के लिए निर्वाचन आयोग, सामाजिक संगठनों और मीडिया संस्थानों को भी जोड़ा जाएगा।शैक्षिक संस्थानों में लोकतंत्र की संस्कृति,कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में लोकतांत्रिक संस्कृति को प्रोत्साहित करना समय की माँग है।श्री अनूप गुप्ता ने कहा —

“लोकतंत्र केवल संसद या विधानमंडल में नहीं, बल्कि विश्वविद्यालय के संवाद-कक्षों में भी पनपता है। जब विद्यार्थी मतदान, विचार और विमर्श के महत्व को समझेंगे, तभी लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होंगी।”

कई शिक्षाविदों ने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों में “जनमत सप्ताह” जैसे नियमित आयोजन किए जाएँ ताकि विद्यार्थियों में सामाजिक और राजनीतिक जिम्मेदारी की भावना का निरंतर विकास हो

जनमत अभियान: लोकतंत्र से लोकसंवाद की ओरइ,स वर्ष “जनमत पर चर्चा” अभियान के तहत जनमत रैली, जनमत नवकुंज, जनमत संवाद, जनमत जागरण और जनमत प्रतिज्ञा जैसे कार्यक्रम भी क्रमशः आयोजित किए जा रहे हैं।इन सभी का उद्देश्य एक ही है — युवाओं में लोकसंवाद की संस्कृति को जीवित रखना।“जनमत प्रतिज्ञा” कार्यक्रम में छात्रों ने शपथ ली कि वे न केवल मतदान करेंगे बल्कि अपने परिवार और समाज में भी मतदान के प्रति जागरूकता फैलाएँगे।

“हम लोकतंत्र के प्रहरी हैं — मताधिकार हमारा अधिकार भी है और कर्तव्य भी।”
इस शपथ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

  लोकतंत्र के नवयुग की प्रस्तावनाजनमत पर चर्चा” कार्यक्रम ने यह सिद्ध किया कि भारत का लोकतंत्र केवल राजनीतिक दलों का नहीं, बल्कि विचारशील नागरिकों का भी है।जब विश्वविद्यालय के परिसर में लोकतंत्र की चर्चा होती है, तब वह केवल भाषण नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का प्रशिक्षण बन जाती है।इस आयोजन ने यह सन्देश दिया कि लोकतंत्र की सच्ची शक्ति जनसहभागिता में है — और जब वह भागीदारी युवा पीढ़ी के माध्यम से होती है, तब लोकतंत्र केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि एक जीवंत सांस्कृतिक मूल्य बन जाता है।

(रिपोर्ट: कौटिल्य वार्ता न्यूज़ डेस्क, लखनऊ)

संपर्क: newsroom@kautilyakabharat.com



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