पाकिस्तान की आतंकवाद नीति: भारत की मजबूत स्थिति और वैश्विक अपेक्षाएं, उसका भूगोल इतिहास बनने की और
पाकिस्तान, जो खुद को एक इस्लामी गणराज्य कहता है, लंबे समय से आतंकवाद को अपनी विदेश नीति का हिस्सा बनाए हुए है। यह न केवल क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा को भी चुनौती दे रहा है। भारत, जो हमेशा से शांति और विकास का पक्षधर रहा है, ने बार-बार पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि आतंकवाद का समर्थन उसकी अपनी तबाही का कारण बनेगा। हाल के वर्षों में, संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी रिपोर्ट्स ने पाकिस्तान को आतंकवादियों का सुरक्षित आश्रय बताया है। अमेरिकी विदेश विभाग की रिपोर्ट्स में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं, जो भारत और अफगानिस्तान में हमले कर रहे हैं7
भारत ने हमेशा आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रुख अपनाया है। अप्रैल 2025 में कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले, जिसमें निर्दोष पर्यटक मारे गए, ने एक बार फिर पाकिस्तान की भूमिका को उजागर किया। भारत ने इस हमले के बाद पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया, जो आत्मरक्षा का वैध कदम था। पाकिस्तान की सरकार इन आरोपों से इनकार करती है और खुद को आतंकवाद का शिकार बताती है, लेकिन सबूत बताते हैं कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठन पाकिस्तानी समर्थन से फल-फूल रहे हैं। यहां तक कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने तीन दशकों तक आतंकवादी समूहों को समर्थन देने की बात स्वीकार की है।
यह स्थिति भारत के लिए चुनौतीपूर्ण है, लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है: आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने में सफलता पाई है। अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देश भारत के साथ खड़े हैं, क्योंकि वे समझते हैं कि पाकिस्तान की नीतियां वैश्विक आतंकवाद को बढ़ावा दे रही हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है, और आतंकवाद के कारण विदेशी निवेश दूर भाग रहा है। उसके नागरिक गरीबी, बेरोजगारी और असुरक्षा से जूझ रहे हैं। क्या पाकिस्तान यह नहीं समझता कि आतंकवाद उसकी अपनी नींव को खोखला कर रहा है?
भारत, दूसरी ओर, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। हमारी विदेश नीति पड़ोसियों के साथ शांति पर आधारित है, लेकिन आतंकवाद के खिलाफ हम दृढ़ हैं। बालाकोट हमले से लेकर हालिया कार्रवाइयों तक, भारत ने दिखाया है कि वह अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। वैश्विक समुदाय को चाहिए कि पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाए, ताकि वह आतंकवादी संगठनों को समर्थन बंद करे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी कश्मीर हमले की निंदा की है, जो भारत की स्थिति को मजबूत करता है।
पाकिस्तान को आत्ममंथन की जरूरत है। यदि वह शांति का रास्ता अपनाए, तो क्षेत्र में विकास संभव है। लेकिन यदि वह आतंकवाद का साथ नहीं छोड़ेगा, तो उसकी अंतरराष्ट्रीय छवि और भौगोलिक महत्व दोनों संकट में पड़ जाएंगे। भारत के नागरिक और सरकार एकजुट हैं—हम शांति चाहते हैं, लेकिन अपनी सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं। इतिहास गवाह है कि आतंकवाद कभी जीत नहीं सकता; भारत की मजबूती और दृढ़ता ही अंतिम विजय होगी। पाकिस्तान को चेतावनी: रंग बदलो, अन्यथा इतिहास तुम्हें असफल राज्य के रूप में याद रखेगा।

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