पत्रकार राजीव प्रताप की हत्या : कलम पर वार, सरकार पर सवाल
बस्ती।उत्तरप्रदेश
उत्तरकाशी जिले में स्वतंत्र पत्रकार राजीव प्रताप की निर्मम हत्या ने न केवल पत्रकारिता जगत बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को हिला दिया है। उनकी लाश 28 सितम्बर को जोशियाड़ा बांध किनारे मिली, जबकि वे दस दिन पहले से लापता थे। बताया जा रहा है कि राजीव प्रताप ने अपने यूट्यूब चैनल के जरिये उत्तरकाशी जिला अस्पताल के भ्रष्टाचार को बेनकाब किया था, जिसके बाद उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। आखिरकार सच बोलने की कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
पत्रकारों ने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला करार दिया है। बस्ती के पत्रकारों ने राज्यपाल उत्तराखण्ड को संबोधित एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपते हुए कड़े शब्दों में कहा कि सरकारें पत्रकारों की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही हैं।
ज्ञापन में पत्रकारों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में टाइम-बाउंड ट्रायल कराकर हत्यारों को फांसी की सजा दिलाने की मांग उठाई है। साथ ही पीड़ित परिवार को कम से कम एक करोड़ रुपये की अहेतुक सहायता और राजीव प्रताप की पत्नी मुस्कान को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की गई है।
गौरतलब है कि मुस्कान सात माह की गर्भवती हैं और राजीव प्रताप की शादी को महज नौ महीने ही हुए थे। अचानक आई इस त्रासदी ने उनके परिवार को तोड़ दिया है। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार इस मामले में ठोस और निर्णायक कदम नहीं उठाती तो आंदोलन का रास्ता अपनाना मजबूरी होगा।
पत्रकारों ने यह भी दो टूक कहा कि अब और खामोशी बर्दाश्त नहीं होगी। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए और पत्रकार उत्पीड़न के मामलों की जांच एसआईटी से कराई जाए, ताकि सच लिखने वाले की कलम को दबाने की कोशिश करने वालों को कड़ा संदेश मिल सके।
"यह हत्या नहीं, लोकतंत्र की हत्या है। अगर सरकार पत्रकारों को सुरक्षा नहीं दे सकती तो लोकतंत्र में जनता की आवाज कौन उठाएगा?" – पत्रकारों का यह सवाल सरकार के गले की फांस बन गया है.
जिलाधिकारी प्रतिनिधि से मिलकर पपत्रकार अशोक श्रीवास्तव, संतोष कुमार सिंह लवकुश यादव, संतोष श्रीवास्तव, राजित राम आदि ने प्रसाशन को उत्तराखण्ड सरकार को त्वरित पत्र भेजनें का आग्रह किया.

बहुत अन्याय
जवाब देंहटाएंसंतोष kum😭 sih🤣
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