रविवार, 28 सितंबर 2025

राहुल का लोकतंत्र पर सवाल या संगठन पर परदा?" चोर का कोतवाली पर पहरा!

 

संपादकीय

"लोकतंत्र पर सवाल या संगठन पर परदा?"

राहुल का नया हथियार : ‘वोट चोरी’

राहुल गांधी ने भाजपा और चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में धांधली का आरोप लगाकर माहौल गर्माने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि पूरा लोकतंत्र धांधली पर टिका है और चुनाव आयोग सत्ता पक्ष का रक्षक बन गया है। सवाल उठता है—क्या यह मुद्दा जनता को जोड़ पाएगा या कांग्रेस को और उलझा देगा?ठोस सबूत या राजनीतिक शोर?


राहुल गांधी बार-बार "ब्लैक एंड व्हाइट" सबूत होने की बात कहते हैं, लेकिन न अदालत में याचिका दाखिल करते हैं और न ही कोई ठोस माँग रखते हैं। जब "विस्फोटक खुलासों" की बात हो और सामने केवल आंकड़ों की विसंगतियाँ आएं, तो जनता को यह राजनीतिक शोर ज्यादा और सच्चाई कम लगती है।कांग्रेस संगठन का असली चेहरा

कर्नाटक की महादेवपुरा सीट का उदाहरण देकर राहुल ने कहा कि एक लाख नकली वोट जोड़े गए। बड़ा सवाल यह है कि—अगर इतनी बड़ी धांधली हुई, तो कांग्रेस के बूथ एजेंट और कार्यकर्ता कहाँ थे? लोकतंत्र की रक्षा का दावा करने वाली कांग्रेस खुद अपने संगठन की ढीली पकड़ क्यों नहीं मान रही?लोकतंत्र पर हमला या जनता पर अविश्वास?

भारतीय मतदाता अपने लोकतंत्र को दुनिया में सबसे मजबूत मानता है। राहुल गांधी जब कहते हैं कि "लोकतंत्र ही धांधली पर टिका है", तो यह संदेश जनता के आत्मविश्वास को चोट पहुँचाता है। विसंगतियों को राष्ट्रीय साजिश बताना अतिशयोक्ति है और इससे भाजपा से ज्यादा कांग्रेस पर सवाल खड़े होते हैं।

ठोस मुद्दों से भटकती कांग्रेसम हंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और किसान संकट जैसे मुद्दों को छोड़कर कांग्रेस "वोट चोरी" पर अटकी हुई है। जबकि प्रशांत किशोर जैसे रणनीतिकार युवाओं को शिक्षा और नौकरी से जोड़ रहे हैं। सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अपनी राजनीतिक ऊर्जा जनता के असली दर्द पर खर्च करेगी या प्रक्रियात्मक बहसों में ही उलझी रहेगी?निष्कर्ष

राहुल गांधी का "वोट चोरी" अभियान कांग्रेस को आक्रामक दिखाने का जरिया तो है, लेकिन यह पार्टी की कमजोरियों को भी नंगा कर रहा है। आरोप लगाने से पहले कांग्रेस को अपने संगठन को जवाबदेह बनाना होगा। वरना यह पूरा अभियान "लोकतंत्र बचाने की लड़ाई" नहीं बल्कि "संगठन की नाकामी पर परदा" ही साबित होगा


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