निसंतान हिंदू विधवा की मौत के बाद किसकी होगी संपत्ति? सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट किया है कि निसंतान हिंदू विधवा महिला की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति किसे विरासत में मिलेगी। यह फैसला न केवल पारिवारिक विवादों को सुलझाने में अहम है, बल्कि भविष्य में होने वाले उत्तराधिकार संबंधी मामलों के लिए भी मार्गदर्शक साबित होगा।
मामला क्या था?
मामले में एक हिंदू महिला की शादी के बाद पति की मृत्यु हो गई थी। पति की कोई संतान नहीं थी और महिला अपने पति की संपत्ति की मालिक बन गई थी। महिला की मृत्यु के बाद यह विवाद उठ खड़ा हुआ कि संपत्ति उसके पति के परिवार को मिलेगी या उसके मायके (माता-पिता के परिवार) को।
नीचली अदालत और हाईकोर्ट में इस पर अलग-अलग दलीलें पेश हुईं, लेकिन आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि—
- अगर कोई हिंदू विधवा बिना संतान के मृत्यु को प्राप्त होती है, तो उसके पास जो संपत्ति है, वह सीधे उसके पति के परिवार (ससुराल पक्ष) को जाएगी।
- मायके के परिजनों को इस पर कोई अधिकार नहीं होगा।
- कोर्ट ने यह भी कहा कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act, 1956) के प्रावधानों के तहत पति की संपत्ति पत्नी को मिल सकती है, लेकिन विधवा की मृत्यु के बाद उस संपत्ति का उत्तराधिकारी पति का परिवार ही होगा।
क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
यह फैसला खास इसलिए माना जा रहा है क्योंकि अक्सर ऐसे मामलों में महिला के मायके और ससुराल पक्ष के बीच लंबा विवाद होता है। संपत्ति को लेकर कई बार वर्षों तक मुकदमेबाजी चलती है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने अब स्थिति स्पष्ट कर दी है।
विशेषज्ञों की राय
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला हिंदू उत्तराधिकार कानून की व्याख्या को और स्पष्ट करता है। वकीलों का मानना है कि इस फैसले से परिवारों में चल रहे कई विवादों का हल निकलेगा और अदालतों पर बोझ भी कम होगा।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने साफ कर दिया है कि निसंतान हिंदू विधवा की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर अधिकार उसके पति के परिवार का होगा, न कि मायके वालों का। यह फैसला उत्तराधिकार से जुड़े कई मामलों के लिए मिसाल बनेगा।

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